Sunday, October 26, 2025

women rights: महिलायें अधिकार पर दें ध्यान, धाराओं का रखें ज्ञान

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women rights: भारत देश भले ही 1857 से 1947 तक के लम्बे संघर्षो के बाद आजाद हो गया हो लेकिन देश की महिलाओं को आज भी वो आजादी नहीं मिल सकी है जिसकी उनकों जरुरत है। महिलाओं की आजादी से मतलब है। समान अवसर, हिंसा भेदभाव से मुक्ति, शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य, राजनीतिक भागीदारी, आर्थिक अधिकार और समाजिक परिवेश, पारिवारिक कानूनों एंव उनको समाज  में पुरुषों के के समान मौके देने से है। रानी लक्ष्मीबाई और सरोजनी नायडू जैसी कई महान् वीरांगनाओं को देश के स्वतंत्रता संग्राम में अपना योगदान देने के लिये समाजिक बन्धनों की बेड़ियों को तोड़ना पड़ा। आज के दौर में महिलाओं का संघर्ष और अधिक बढ़ गया है।

आजाद देश में भी महिलायें आजाद नही:

आजाद देश में भी महिलायें आजाद नहीं रह गयी है। उनको घर, बाहर, ससुराल, और कार्यक्षेत्र हर जगह शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना से जुझना पड़ रहा है। शिक्षित महिलाओं की शिक्षा को महत्व नहीं दिया जा रहा है जिससे वे हीनभावना से ग्रसित होती जा रही है और कई मानसिक विकारों की शिकार हो रही है। समाज में दिनों-दिन बढ़ती दहेजलोभियों की संख्या के कुकर्मो ने महिलाओं में डर की स्थिति इस कदर पैदा कर दी है कि महिलायें शादी की जगह सिंगल रहना बेहतर समझने लगी है। समाज में दहेज के लिये हत्या आत्महत्या जैसे रोजाना सैकड़ों मामलों से समाचार पत्र और समाचार चैनल भरे पड़े है। कहीं महिलाओं को जला कर मारा जा रहा है कहीं उनकों इस तरह मानसिक प्रताड़ना दी जा रही है कि वे खुद ही आत्महत्या का कदम उठाने के लिये मजबूर होती जा रही है।

महिलाओं को भी है, जीवन और सम्मान का अधिकार:

महिलाओं को ऐसी परिस्थितियों में स्वंय की सुरक्षा के लिये कठोर कदम उठाना बेहद जरुरी हो गया है। उनको अपने अधिकारों की रक्षा के लिये उनसे सम्बंधित कानून, धाराओं और सजा के प्रावधानों का ध्यान रखना चाहिये ताकि वह अपने अधिकारों के लिये आत्मविश्वास के साथ खड़ी हो सके। धारा 354, 354ए, 354सी 354डी को महिलायें अपनी लज्जा भंग होने एवं अश्लील टिप्पणी कसने वाले उनकी निजी गतिविधियों पर नजर रखने वाले और उनकी जासूसी करने व पीछा करने वाले अपराधी पर लगा सकती है।

घरेलू हिंसा संरक्षण अधिनियम 2005, कार्यस्थल पर महिलाओं का उत्पीड़न रोकथाम निवारण अधिनियम 2013, दहेज प्रतिषेध अधिनियम 1961 इसके अलावा महिलाओं को समानता, जीवन और सम्मान का अधिकार अनुच्छेद 14 से 21 समान कार्य के लिये समान वेतन अनुच्छेद 39 अधिकार देता है। धारा18, धारा19, धारा 20, धारा 21, धारा 23 के तहत महिलायें घरेलू हिंसा के खिलाफ कार्यवाही कर सकती है। इसमें अपराधी को 3 साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान किया गया है। कार्यस्थल पर महिलाओं को डराने, धमकाने और उत्पीड़न करने की स्थिति में धारा 503 और 504 जबकि मानसिक उत्पीड़न मे धारा 498 को शामिल किया गया है। इसमें 2 से 3 वर्ष का कारावास जुर्माना या फिर दोनों से दण्ड का प्रावधान है। इन धाराओं का ज्ञान और अनुच्छेदों की जानकारी होने पर महिलायें समाज में निडर होकर और आत्मविश्वास के साथ जीवनयापन कर सकती है।

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Preeti Rathore
Preeti Rathore
मैंने सी.एस.जे.एम. वि.वि. से MJMC, LLb, B.Ed, M.Sc (Zoology), M.A (Hindi, Economics, Political Science), "O" Level, CCC Computer Course एंव राजर्षि टण्डन वि.वि.से PGDMM की डिग्री प्राप्त की है। इसके अतिरिक्त हिन्दुस्तान प्रेस, K.TV, में ट्रेनी पत्रकार एंव डिग्री कॉलेज और एनजीओ मे पत्रकारिता शिक्षक के रुप में कार्य किया है।

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