Sharad Purnima:October 2025: जब देवताओं और असुरों द्वारा समुद्र मथन शुरु किया गया। उस समय शिव जी द्वारा ग्रहण किया गया विष, कामधेनु गाय, श्रवा घोड़ा और ऐरावत हाथी जैसे 14 रत्नों में सुख समृदिॄ और धन की देवी माता लक्ष्मी क्षीर सागर से शरदपूर्णिमा के दिन प्रकट्य हुई थी। कुछ कथायें यह भी बताती है कि देवी लक्ष्मी भृगु श्रषि और उनकी पत्नी ख्याति की पुत्री थी और उनका जन्म शरदपूर्णिमा के दिन हुआ था। लक्ष्मी जी भगवान विष्णु के गुणों से बहुत प्रभावित थी, सैकड़ों वर्षो की घोर तपस्या के बाद भगवान विष्णु ने उन्हें पत्नी रुप में स्वीकार किया जिसके बाद माता लक्ष्मी श्रीहरि के साथ क्षीर सागर वैकुंठ में निवास करने लगी।

भक्तों को आशीष देने पृथ्वी लोक पर आती है, शरदपूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मीः
मान्यता है कि प्रत्येक वर्ष शरद ऋतु के प्रारम्भ होने पर शरदपूर्णिमा के दिन अमृत, मनदा, पुष्प, पुष्टि, तुष्टि, ध्रुति, शाशनी, चन्द्रिका, धरा, कांति, ज्योत्सना, श्री, प्रीति, अंगदा, पूर्ण और पूर्णामृत आदि सोलह कलाओं से परिपूर्ण चन्द्रमा की रोशनी में माता लक्ष्मी अपने भक्तों को आशीष प्रदान करने स्वर्गलोक से पृथ्वी लोक पर आती है। यह दिन हिंदू धर्म में बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है इस दिन तुलसी पूजन एंव द्वीप प्रज्ज्वलन के उपरान्त खीर को पूरी रात चन्द्रमा की चांदनी में रख कर प्रसाद रुप में ग्रहण करने से धन धान्य एंव समस्त मनोकामनाओं की प्राप्ति होती है।


जे.के. मंदिर प्रागंण में महारास का आयोजनः
भगवान विष्णु के अवतार श्री कृष्ण ने शरदपूर्णिमा के ही दिन 16 कलाओं में निपूर्ण अम्रत वर्षा करती चन्द्रमा की मनमोहिनी चादंनी में राधारानी और गोपियों संग महारास किया था। इस विशेष पावन अवसर को ध्यान रखते हुये शहर कानपुर के प्रसिदॄ जे.के. मंदिर प्रागंण में दिनांक 6 अक्टूबर दिन सोमवार को सायंकाल श्री कृष्ण राधारानी की सवारी निकाली गई। जिसमें मंदिर आये भक्तगणों को खुले आसमान के नीचे राधा कृष्ण के दर्शन करने एंव रथयात्रा में शामिल होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।

इसके साथ ही सकरात्मक ऊर्जा, विचारों की शुदॄता, सौन्दर्य, स्वस्थता, इच्छापूर्ति, विद्या, तेज, शांति, धरती, आभा, प्रकाश, धन, प्रेम, स्थायित्व, कर्मशीलता आनंद से परिपूर्ण चरम रुप को प्रदर्शित करती चन्द्रमा की धवल रोशनी में महारास का आयोजन किया गया। इस मौके पर रिदम ग्रुप द्वारा राधा कृष्ण के भजनों एंव “सात रंग, सातों रंग है, सवारियां के” जैसे मनमोहक लुभावने गीतों पर कथक नृत्य की सुन्दर प्रस्तुतियों ने मंदिर आये भक्तगणों को मंत्रमुग्ध किया।
ये भी पढ़ेः घड़ियां वक्त दिखाने के साथ बनाती है, तकदीर

