Monday, October 27, 2025

Rashtriya Swayamsevak Sangh: शताब्दी उत्सव: RSS का देशभर में जलवा

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Rashtriya Swayamsevak Sangh: 1 अक्टूबर को दिल्ली के आंबेडकर मैदान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया और अपने संबोधन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के साथ अपने संबंधों तथा उसकी भूमिका पर विचार साझा किया। वहीं 2 अक्टूबर को नागपुर के रेशमबाग सहित देश के कई अन्य शहरों में RSS की भव्य परेड और वर्षगांठ समारोह आयोजित किए गए। नागपुर में हुए मुख्य समारोह में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।

RSS क्या है?

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) एक सांस्कृतिक संगठन है जिसकी स्थापना 1925 में विजयादशमी के दिन डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने की थी। इसका मुख्य उद्देश्य उस समय हिंदू समाज को ब्रिटिश शासन की कड़ी नीतियों और आंतरिक कमजोरियों से बचाना था। आज यह विश्व का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संगठन (NGO) माना जाता है। RSS को भारतीय जनता पार्टी (BJP) का वैचारिक संरक्षक भी माना जाता है। समय-समय पर यह संगठन बीजेपी को मार्गदर्शन देता रहा है और कठिन परिस्थितियों में दिशा दिखाने का कार्य करता है।

100वी RSS की वर्षगांठ पर पीएम मोदी का संबोधन

1 अक्टूबर 2025 को दिल्ली के आंबेडकर मैदान में RSS के 100 वे वर्षगांठ के उपलक्ष्य में PM मोदी ने कहा की ” मै संघ के 100वे वर्षगांठ पर हेडगवार जी को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं और स्वयंसेवकों को बहुत सारी शुभकामनाएं देता हूं। संघ की गौरवमयी 100 साल की यात्रा देश की सेवा और समाज सुधार का उदाहरण है। इस अवसर पर भरता सरकार के द्वारा विशेष डाक टिकट और स्मृति सिक्के जारी किया गया है । ₹100 सिक्के के एक ओर राष्ट्रीय चिन्ह है और वही दूसरी ओर भारतमाता की स्मृति को नमन करते स्वयंसेवक। साथ ही उन्होंने कहा की “संघ के अलग-अलग संगठन देश के कल्याण में अपना योगदान करते है चाहे वह महिला शशक्तिकरण हो ,शिक्षा, कृषि हो ,समाज कल्याण हो ,आदिवासी कल्याण हो ,कला हो या विज्ञान, समाज के ऐसे कई क्षेत्रों में संघ निरंतर काम कर रहा है ।

मोहन भागवत का संबोधन

RSS प्रमुख मोहन भागवत ने कहा- ” यह वर्ष देश के लिए कई चुनौतियाँ लेकर आया है- पहलगाम में 22 श्रद्धालुओं पर आतंकवादी हमला, महाकुंभ का विशाल आयोजन, और कई राज्यों में आई भीषण बाढ़। इन कठिनाइयों से संघ ने बहुत कुछ सीखा है।”

उन्होंने पड़ोसी देशों की अस्थिरता पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा की” यह सभी देश कभी न कभी हमारे देश का हिस्सा थे इसलिए हमें इन देशों से अपनत्व की भावना आती है लेकिन हमें इन देशों से कुछ सावधानियां भी बरतनी पड़ेगी।”

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