Karni Mata Temple: यह एक प्रसिध्द हिंदु मंदिर है जो कि राजस्थान के बीकानेर जिले से 30 किलोमीटर देशनोक में स्थित हैं। इस मंदिर में देवी करणी माता की पूजा की जाती हैं। जिन्हें स्थानीय लोग देवी दुर्गा का अवतार मानते हैं इसलिए उन्हें जगदंबा के नाम से भी पुकार जाता हैं। इस मंदिर में लगभग 25000 चूहे रहते हैं जिसे काबा कहा जाता हैं। आइए जानते हैं मंदिर और चूहों के जूठे प्रसाद के बारे में…
मंदिर का इतिहास

प्राचीन मान्यता के अनुसार इस मंदिर का इतिहास 600 वर्ष पुराना हैं। करणी माता का जन्म सुआप गांव में रिध्दि बाई के रूप में हुआ था। एक बार उन्होंने अपनी बुआ की टेढ़ उंगली ठीक कर दी, जिससे उनका नाम करणी पड़। उसके बाद उन्होंने अपना सारा जीवन मानव सेवा में समर्पित कर दिया। उन्होंनें कई चमत्कार किए हैं जैसे कि मृतकों को जीवित करना और गरीबों व जरूरतमंदों की सहायता शमिल हैं। इस मंदिर का भव्य निर्माण बीकानेर के महाराजा गंगा सिंह ने करवाया था। इस मंदिर में बड़ी संख्या में चूहे निवास करते हैं जिन्हें काबा कहा जाता हैं। ये मंदिर चूहों के लिए प्रसिध्द हैं जिन्हें देवी की संतान माना जाता हैं।
चूहों रहस्य

इस मंदिर के कई सारे रहस्य छिपे हुए हैं जिन्हें आज तक कोई नहीं जान पाया हैं। इसी में एक हैं कि इस मंदिर में इतने चूहें आए कहा से, ऐसा माना जाता हैं कि इस मंदिर के चूहे करणी माता के परिवार के वशंज हैं, जिन्हें पवित्र प्राणी के रूप में पूजा जाता हैं और स्थानीय लोगों का यह भी कहना है कि एक बार किसी युद्ध से 24 से 25 हजार सैनिकों की फौज बिन लड़े ही देशनोक गांव आ गई थी। ऐसे में माता ने उन सैनिकों को दंड देने का निश्चित किया। जिसे उन्होंने सभी को चूहों में बदल दिया। ऐसे में सैनिकों ने देवी माता की सेवा करने का प्रण लिया और तभी से सारे चूहे मंदिर में रहने लगे।
करणी माता का प्रसाद

माता करणी के भोग को चूहे के भोग ग्रहण करने के बाद ही बचा हुआ जूठा प्रसाद भक्तों में बाटा जाता हैं। जिसे पवित्र माना जाता हैं। यह प्रसाद आमतौर पर मंदिर में ही चढ़ाया जाता हैं। इस मंदिर में देश-विदेश से भक्त माता करणी के दर्शन करने आते हैं। इस मंदिर को चूहों का मंदिर और चूहों वाली माता का मंदिर कहा जाता हैं।
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