Janmashtmi 2025: गोमती नदी तट के किनारे स्थित गुजरात राज्य की द्वारका नगरी में द्वारकाधीश मंदिर 2500 वर्षो पहले भागवान कृष्ण के प्रपौत्र वज्रभान ने भगवान के निज स्थान हरिगृह के पास करवाया था। मान्यता है कि भगवान कृष्ण मथुरा छोड़ने के बाद द्वारका आ गये थे। द्वारका नगरी का यह द्वारकाधीश मंदिर कई बार नष्ट होने के बाद 15 वीं 16 वीं शताब्दी में चालुक्य शैली बनवाया गया था।
शिव परिवार और माता रानी का मंदिर भी स्थापित
कानपुर शहर की गिनती भी धार्मिक शहरों में की जाती है। गंगा किनारे बसे इस शहर में भक्ति का संगम आप हर जगह महसूस कर सकते है। जगह-जगह स्थापित मंदिर लोगों को धर्म और भक्ति से भावविभोर करते है। ऐसा ही एक अद्भुत मंदिर बड़े चौराहा के पास कमला मीनार (टावर) के पास स्थित द्वारका के राजा का मंदिर है। राधा कृष्ण को समर्पित यह द्वारकाधीश मंदिर को कानपुर के व्यवसायी जुग्गीलाल पदमपत सिंघानिया ने 1884 निर्मित करवाया था। इस प्रसिदिॄप्राप्त मंदिर में शिव परिवार और माता रानी का मंदिर भी स्थापित है।

राधा को देवी त्रिपुरा सुंदरी का रुप माना जाता
धार्मिक और दार्शनिक मान्यताओं के अनुसार राधा को भगवान शिव का अवतार माना जाता है, जो कृष्ण के साथ प्रेम एंव भक्ति का प्रतीक है दूसरी ओर राधा को स्वतंत्र देवी के रुप देखा जाता है, जो माता पार्वती का स्वरुप है। परंपराओं के अनुसार राधा को देवी त्रिपुरा सुंदरी का रुप माना जाता है। वहीं कृष्ण को माता काली का अवतार कहा जाता है, जो शक्ति के पुरुष रुप का प्रतिनिधित्व करते है एंव कृष्ण के गहरे रंग और उनकी शक्तिशाली लीलायें माता काली के उग्र और शक्तिशाली रुप से मेल खाती है।
द्वारकाधीश महाराज धारण करते वस्त्रों में हर दिन के रंग
कमला मीनार (टावर) के पास स्थित यह द्वारका के राजा का मंदिर सुन्दर सफेद पत्थरों पर फूल पत्तियों की नाकाशी से बना है। भक्त यदि एक बार मंदिर में राधा कृष्ण की मनमोहक छवि के दर्शन कर लेते है तो प्रतिदिन उनकी दर्शन की उत्सुकता बढ़ने लगती है, और दर्शन के लिये ललायित हो उठते है। मंदिर में प्रतिदिन सुन्दर रंग बिरंगे फूलों से मनमोहक श्रंगार होता है।
राधा कृष्ण दिन के रंगों के रंग के वस्त्र धारण करते । जैसे सोमवार को सफेद रंग शान्ति, मंगल को लाल रंग प्रेम, बुधवार को हरा रंग वृदिॄ, गुरुवार को पीला रंग न्याय और शुभता, शुक्रवार को गुलाबी रंग आत्म प्रेम एंव ऊर्जा, शनिवार को नीला और काला रंग सख्त एंव अनुशासित ऊर्जा का प्रतीक है जबकि रविवार का नारंगी रंग ठाठ-बाट का प्रतीक माना जाता है। यह ग्रहों से रंगों का तालमेल राधा कृष्ण के रुप सौन्दर्य को और अधिक आकर्षक बना देते है।
श्रावण मास में सजती है सुन्दर झाकी और झूला
द्वारका के राजा के मंदिर में श्रावण मास का झांकी और झूला महोत्सव विशेष महत्व रखता है। इन दिनों द्वारकाधीश महाराज राधारानी के साथ झूले में विराजित होते है और सुन्दर झांकियों का आन्नद लेते है। इस सावन की सुन्दर झांकियों में कंश वध के साथ राधा कृष्ण होली खेलते और गोपियों संग रास रचाते नजर आये जिसको देखकर भक्तगण मंत्रमुग्ध हो रहे थे।

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