fatty liver:आज की आम बिमारियों में से एक फैटी लिवर की समस्या बढ़ती जा रही है। कोई न कोई इन समस्याओं से गुजरता दिखाई दे रहा। ये समस्याअधिक तेल मसाले वाले खाने के साथ साथ अनियमता है। मेडिकल भाषा में इसे हिपेटिक स्टेटोसिस कहा जाता है। लगातार इसको अनदेखा करना गंभीर स्थिति पैदा कर सकती है। बता दें कि लिवर डैमेज, फ्राइब्रोसिस, सिरोसिस और लिवर फेल्योर का रिक्स बढ़ सकता है। आइए जानते है फैटी लिवर के नुकसान…
क्या होता है फैटी लिवर?
फैटी लिवर शराब के सेवन के बिना अन्य कारणों से लिवर में एक्स्ट्रा फैट जमा होना शुरू हो जाता है। बता दें कि इसे भी दो तरह से बांटा जाता है।
पहला नॉन एल्कोहलिक फैटी लिवर। इस स्थिति में लिवर फैटी हो जाता है। अधिक इंफ्लेमेशन और लिवर सेल डैमेज की प्रॉब्लम नहीं देखने को मिलती है।
दूसरी स्थिति को नॉन एल्कोहलिक स्टीटोहेपेटाइटिस कहा जाता है। इसमें फैटी लिवर कैंसर की वजह भी बन सकता है।
कितना बड़ा खतरा ?
भारत में 18-20% की आबादी अधिक फैटी लिवर की वजह से पीड़ित है। सामान्य आबादी का 9 से 32 %फैटी लिवर की प्रॉब्लम से जूझ रही है। लेकिन लगातार फैटी लिवर की स्थिती इंफलेमेंशन और फाइब्रोसिस की ओर ले जाती है। इसके लक्षण शरीर में अधिक थकान शरीर के हिस्सों पर सूजन पीलिया, पेट में सूजन आदि की दिक्कत देखने को मिल सकती है।
आखिर कब खतरनाक हो जाता है फैटी लिवर?
फैटी लीवर की स्थिती जब एनएसएच की ओर ज्यादा बढ़ती है। तो खतरनाक हो जाती है। इस स्थिति में इंफ्लेमेशन के साथ लिवर को नुकसान पहुंचाना शुरू हो जाता है। डायबिटीज, मोटापा हाई ब्लड प्रेशर से जूझ रहे लोगों में ये स्थिति और गंभीर हो सकती है।
ऐसे करें बचाव
फैटी लिवर डिजीज शुरूआती स्टेट में रिवर्सिबल की जा सकती है. लाइफस्टाइल में चेंज कर ऐसा किया जा सकता है। अगर वेट लॉस शरीर पर ध्यान दिया जाए तो फैटी लिवर से बचा जा सकता है. खाने में फल सब्जी साबुत अनाज, लीन प्रोटीन का सेवन करें। जबकि सैचुरेटेड फैट और शुगर से दूरी बनाएं।
बता दें कि हेपेटिक फैट करने के साथ मोटाबॉलिक फंक्शन इंप्रूव करने में मदद मिलती है। वहीं को डायबिटीज,हाइपरटेंशन, हाइपरलिपिडिमिया जैसी स्थिती को कंट्रोल कर डिजीज के बढ़ने के रिस्क को कम किया जा सकता हैं।
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