Monday, October 27, 2025

Chhath Puja Arghya Time 2025: छठ पूजा का पहला अर्घ्य सोमवार को, नोट करें संध्या अर्घ्य का शुभ मुहूर्त, विधि और मंत्र

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Chhath Puja Arghya Time 2025: आस्था का महापर्व छठ, सूर्य देव और छठी मैया की आराधना को समर्पित है। इस दौरान महिलाएं अपनी संतान की लंबी आयु और कल्याण के लिए 36 घंटे का निर्जला व्रत रखती हैं। यह व्रत सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है। छठ पूजा की शुरुआत नहाय-खाय से होती है और अगले दिन खरना के साथ 36 घंटे का व्रत शुरू होता है। इसके अलावा, छठ पूजा में दो अर्घ्य दिए जाते हैं: एक संध्या अर्घ्य और दूसरा उषा अर्घ्य। पहला संध्या अर्घ्य सोमवार, 27 अक्टूबर को दिया जाएगा। आइए आपको बताते हैं छठ पूजा में संध्या अर्घ्य देने का शुभ मुहूर्त, संध्या अर्घ्य देने की विधि और संध्या अर्घ्य देने का मंत्र…

कब है पहला अर्घ्य

छठ पूजा के तीसरे दिन, शाम को डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इस दौरान सूर्य और छठी माता को समर्पित मंत्रों का जाप करना शुभ माना जाता है। इस दिन, भक्त अन्न और जल का त्याग करते हैं, जो छठ पूजा का मुख्य दिन होता है। अगले दिन, उगते सूर्य को उषा अर्घ्य दिया जाता है, जो व्रत के समापन का प्रतीक है।

27 अक्टूबर को संघ्या अर्घ्य समय – शाम 4:50 से 5:41 बजे तक का हैं।

संध्या अर्घ्य विधि

  1. कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को सूर्यास्त के समय संध्या अर्घ्य दें।
  2. एक बांस की टोकरी में ठेकुआ, फल, नारियल, गन्ना और चावल के लड्डू सजाएं।
  3. व्रती को किसी नदी या तालाब के किनारे कमर तक पानी में खड़ा होना चाहिए।
  4. इसके बाद दूध और जल मिलाकर सूर्य देव को अर्घ्य दें।
  5. तैयार सामग्री को सूप में डालकर सूर्य देव को अर्पित करें।
  6. इस दौरान छठी मैया के लोकगीत या मंत्रों का जाप करें।

सूर्य को अर्घ्य देते समय करें इन मंत्रों का जप

छठ पूजा के दौरान सूर्य को अर्घ्य देते समय आप निम्नलिखित मंत्रों का जाप कर सकते हैं इन मंत्रों के जप करने से सूर्य देव प्रसन्न होते हैं।

ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः
ॐ घृणि सूर्याय नमः
ॐ आदित्याय नमः
इसके अलावा, सूर्य को अर्घ्य देने का सबसे लोकप्रिय मंत्र “ॐ घृणि सूर्याय नमः” है, जिसका अर्घ्य देते समय लगातार जाप करना चाहिए।

संध्या अर्घ्य का महत्व

  1. स्वास्थ्य और समृद्धि: संध्या अर्घ्य देने से स्वास्थ्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है और पापों का नाश भी होता है।
  2. जीवन के उतार-चढ़ाव: डूबते सूर्य को अर्घ्य देना जीवन के उतार-चढ़ाव को समझने का प्रतीक है।
  3. प्रकृति के प्रति कृतज्ञता: इस अनुष्ठान को प्रकृति के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का एक तरीका माना जाता है।
  4. संतान की समृद्धि: इस अनुष्ठान के दौरान, संतान की समृद्धि और दीर्घायु की कामना की जाती है।

सूर्य को अर्घ्य देने के नियम

  1. शाम का अर्घ्य देते समय पूर्व दिशा की ओर मुख करना चाहिए।
  2. सूर्य को जल देते समय दोनों हाथ सिर के ऊपर रखने चाहिए।
  3. जल में सिंदूर, चंदन या लाल फूल डालना शुभ माना जाता है।
  4. अर्घ्य देने के बाद सूर्य नमस्कार करना चाहिए या तीन बार परिक्रमा करनी चाहिए।
  5. जल पैरों पर न गिरे, इसे किसी बर्तन या ज़मीन पर विसर्जित करें।

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