Chhath Puja 2025 Parana: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो लोग विधि-विधान से संध्या और प्रातःकाल की पूजा-अर्चना करते हैं, जो सूर्य देव और छठी मैया की आराधना को समर्पित है। यह पर्व चार दिनों तक अत्यंत श्रद्धा और विश्वास के साथ मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि जो लोग पूरे नियम और संयम के साथ इस व्रत का पालन करते हैं, उन्हें सुख, समृद्धि, संतान सुख और उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। उन्हें छठी मैया की विशेष कृपा प्राप्त होती है। आइए जानतें हैं उगतें सूर्य को अर्घ्य देने का समय और पारण की विधि…
उगते सूर्य का अर्घ्य महत्व ( पूजा का अंतिम दिन )

छठ पूजा का अंतिम दिन “उषा अर्घ्य” कहलाता है, जो 28 अक्टूबर, 2025 (मंगलवार) को मनाया जाएगा। सुबह की यह पूजा बहुत पवित्र मानी जाती है क्योंकि यह उगते सूर्य को समर्पित होती है, जो नई शुरुआत, ऊर्जा और जीवन का प्रतीक है। इस दिन, भक्त सुबह 3 या 4 बजे ही घाटों पर पहुंच जाते हैं और फल, गन्ना, नारियल और ठेकुआ जैसी वस्तुओं से भरी टोकरियां लेकर आते हैं। जैसे ही सूर्य की पहली किरण जल को छूती है, भक्त नदियों, तालाबों या जलाशयों में खड़े होकर सूर्य देव को अर्घ्य (जल अर्पित) देते हैं।
उषा अर्घ्य का शुभ मुहूर्त (28 अक्टूबर, 2025)
28 अक्टूबर (मंगलवार) को उगते सूर्य को उषा अर्घ्य यानी अर्घ्य दिया जाएगा। अगली सुबह सूर्योदय लगभग 6:30 बजे होगा। उगते सूर्य को अर्घ्य देने के लिए यह सबसे शुभ समय माना जाता है। इस दौरान व्रती महिलाएं और पुरुष सूर्य देव को जल अर्पित करते हैं और छठी मैया से संतान सुख, स्वास्थ्य और समृद्धि की प्रार्थना करते हैं और इसके साथ ही छठ व्रत का पारण किया जाएगा।

अर्घ्य देने की विधि
अर्घ्य देते समय, पूर्व दिशा से सूर्यदेव के उदय होते ही पूर्व दिशा की ओर मुख करके खड़े हो जाएं। जब सूर्य की पहली सुनहरी किरणें क्षितिज पर दिखाई दें, तो एक कलश या पीतल के बर्तन में जल भरकर, उसमें सुपारी, फूल, चावल और दूर्वा डालकर भक्तिपूर्वक अर्घ्य दें। अर्घ्य देते समय, भक्तिपूर्वक सूर्यदेव का नाम जपें।
पारण का समय
उषा अर्घ्य के बाद, भक्त अपना छठ व्रत तोड़ते हैं। इसके बाद गुड़, चावल और ठेकुआ (प्रसाद) चढ़ाकर और पूजा करके व्रत का समापन होता है। इस वर्ष, छठ व्रत मंगलवार, 28 अक्टूबर को तोड़ा जाएगा।
ये भी पढे-Devuthani Ekadashi 2025: देवउठनी एकादशी कब मनाई जाएगी, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

