Ayodhya: अयोध्या और नेपाल के जनकपुर को रेलमार्ग से जोड़ने की योजना पर लोगों में लंबे समय से उत्सुकता थी, लेकिन यह सपना अभी पूरा नहीं हो पाया है। यह परियोजना दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और धार्मिक संबंधों को और गहरा करने वाली थी, मगर फिलहाल इस पर विराम लग गया है। इसका कारण है-भारत और नेपाल के बीच आधिकारिक मंजूरी का न मिलना।
योजना का खाका
इस रेल सेवा का मार्ग धार्मिक और पर्यटन की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा था। प्रस्तावित रूट इस प्रकार था—
अयोध्या → गोरखपुर → नरकटियागंज → रक्सौल → सीतामढ़ी → दरभंगा → जयनगर → जनकपुर।
अयोध्या भगवान राम की जन्मभूमि है, वहीं जनकपुर माता सीता का मायका है। इन दोनों पवित्र स्थलों को रेल से जोड़ने का मतलब था श्रद्धालुओं को एक आसान और सीधा मार्ग उपलब्ध कराना।
अभी क्यों रुकी योजना?
रेलवे विभाग ने रूट, ठहराव और समय सारणी जैसी सभी तकनीकी तैयारियां पूरी कर ली थीं। इसके बावजूद ट्रेन सेवा की शुरुआत नहीं हो सकी क्योंकि अंतरराष्ट्रीय रेल संचालन के लिए दोनों देशों के बीच कुछ औपचारिक समझौते जरूरी होते हैं। इनमें सुरक्षा, इमिग्रेशन, कस्टम नियम और आपसी शर्तों पर सहमति शामिल है। यही प्रक्रिया अभी अधूरी है।

स्थानीय लोगों की राय
अयोध्या, गोरखपुर, सीतामढ़ी और जयनगर जैसे शहरों के लोगों का मानना है कि यह रेल सेवा शुरू होने से यात्रियों का समय और खर्च दोनों कम होंगे। धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और व्यापारिक गतिविधियां भी तेज होंगी।
नेपाल के जनकपुर में होटल, परिवहन और स्थानीय बाजार से जुड़े व्यापारी भी इस सेवा का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। उनका कहना है कि इससे भारत से आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में कई गुना वृद्धि होगी, जो स्थानीय अर्थव्यवस्था के लिए वरदान साबित होगी।
रेलवे की तैयारी
इस परियोजना के लिए रेलवे ने पहले ही विस्तृत सर्वे कराया था। स्टेशनों पर बुनियादी सुविधाओं को सुधारने की योजना बनी थी और संभावित यात्रियों के हिसाब से ठहराव के समय भी तय कर लिए गए थे। अधिकारियों के अनुसार, संचालन की जिम्मेदारी भारत और नेपाल दोनों देशों की रेल कंपनियां मिलकर संभालेंगी।
भविष्य की संभावनाएं
रेलवे सूत्रों का कहना है कि जैसे ही भारत और नेपाल के बीच सभी जरूरी समझौते पूरे हो जाएंगे, इस सेवा को तुरंत शुरू किया जा सकता है। शुरुआती चरण में ट्रेन की संख्या सीमित रखी जाएगी और बाद में मांग के अनुसार इसमें बढ़ोतरी होगी।
धार्मिक पर्यटन को नई दिशा
अयोध्या और जनकपुर के बीच रेल संपर्क ‘रामायण सर्किट’ योजना के लिए भी अहम है। यह सर्किट उन सभी स्थानों को जोड़ने पर काम कर रहा है जिनका उल्लेख रामायण में मिलता है। अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन के बाद श्रद्धालुओं की संख्या लगातार बढ़ रही है, और जनकपुर की धार्मिक महत्ता भी उतनी ही गहरी है। दोनों को जोड़ने वाली ट्रेन सेवा पर्यटन के साथ-साथ सांस्कृतिक रिश्तों को भी मजबूती देगी।
निष्कर्ष
अयोध्या-जनकपुर रेल परियोजना सिर्फ एक यात्री सेवा नहीं, बल्कि यह भारत और नेपाल के बीच ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रिश्तों को नए आयाम देने वाली योजना है। अभी यह योजना कागजों पर ही अटकी हुई है, लेकिन लोगों को विश्वास है कि बातचीत पूरी होते ही यह ट्रेन दोस्ती, आस्था और विकास की नई पटरी पर दौड़ पड़ेगी।
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