Kanpur UP: September 2025: “मुझे मेरे ठाकुर ने सब कुछ दिया है, तेरा शुक्रिया तेरा शुक्रिया है” कानपुर शहर के सुप्रसिदॄ जे.के. मंदिर में दिनांक 14 सितम्बर से 20 सितम्बर तक आचार्य डॉ सर्वेश द्विवेदी द्वारा पितरों को समर्पित श्रीमद्भगवत् गीता पाठ का समापन दिन शनिवार को किया गया पिता के पुत्र में होती है, उसकी आत्मा जैसे प्रवचन आचार्य जी द्वारा पितरो को समर्पित किये।
निकुंज में विराजे, घनश्याम राधे राधेः
नौ कर्म करने वाला होता है ब्राह्रम्ण, मन को अधीन करने वाला जितेन्द्रिय, निकुंज में विराजे घनश्याम, राधे राधे, पिता के पुत्र में होती है उसकी आत्मा, बड़ी दूर नगरी, बड़ी दूर नगरी, कैसे आँऊ मैं कान्हा बड़ी दूर नगरी” न शीष पर पगड़ी तन पर फटी धोती, कान्हा से मिलने द्वारका सुदामा आया है, तज राज सिंहासन सुदामा से मिलने मुरलीधर आया रे, पीताम्बर में उलझ गया पग मुरलीधर का, सुदामा का ऐसे श्रीकृष्ण से फिर मिलन हुआ

आचार्य डॉ सर्वेश द्विवेदी जी ने सुदामा जीवन चरित्र का वर्णन करके श्रीमद्भगवत् गीता पाठ के अपने प्रवचनों से मंदिर प्रागंण में आये भक्तगणों को श्रीकृष्ण की भक्ति में भावविभोर कर दिया।
महालया अमावस्या पर श्रादॄ से मिलता, मनोवांछित फलः
15 दिनों तक चलने वाले पितृपक्ष के सोहलवें दिन पितरों की विदाई और पितृपक्ष का अन्तिम दिन पितृ आमवस्या और महालया आमवस्या के नाम से जाना जाता है। पितरों की तिथि ज्ञात न होने पर इस तिथि में समस्त भूले बिसरे पितरों का श्रादॄ, तर्पण, पिण्डदान एंव अन्नदान करने से पितृ संतुष्ट होकर अपने लोक को प्रस्थान करते है और साधक को पितरो से मनोवांछित फल, आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस दिन किये कर्मकाण्ड सीधे पितृ लोक चले जाते है।
इसलिये महालया आमवस्या को पितरों की पूजा को अनिवार्य माना गया है। लेकिन देवताओं की पूजा को निषिदॄ माना जाता है पीपल के वृक्ष की चावल, फल, फूल मिश्री मिला जल अर्पित कर विधि विधान से पूजन करने से पूर्वज प्रसन्न होकर वशंजो को लम्बी आयु का वरदान देते है। महालया अमावस्या तिथि पर दोपहर के समय कुतुप और रोहिणी नक्षत्र में श्रादॄ, तर्पण करने के उपरान्त सात्विक भोजन का सेवन उत्तम माना जाता है।
पितृपक्ष सूर्यग्रहण में स्पर्श न करें,तुलसी पौधाः
21 सितम्बर दिन रविवार महालया आमवस्या के दिन लगने वाला सूर्यग्रहण भारत देश में दिखाई नही देगा लेकिन धार्मिक दृष्टि से ग्रहण के महत्व को देखते हुये तुलती के पौधे की पूजा और स्पर्श को निषेध माना जायेगा।
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