Ants (Formicide Family): विश्व की दस हजार से ज्यादा की प्रजातियों में चीटियां (फार्मिसिडे परिवार) से सम्बंधित एक समाजिक प्राणी के रुप में पायी जाती है। घरेलू चींटी, बढ़ई चींटी, अग्नि चींटी, थीफ चींटी और फिरोन चींटी एंव गार्डेन चीटियां प्रमुख है इसमें गार्डेन चींटी पन्द्रह वर्ष, बढ़ई चींटी सात वर्ष, घरेलू चींटी दो से तीन वर्ष, अग्नि चींटी पाँच से छः सप्ताह जबकि सबसे कम समय फिरोन चींटी का जीवन काल होता है यह केवल सत्तर दिनों तक ही जीवित रहती है। इसके अलावा बाग बगीचों जैसे कई स्थानों पर कतारों में चीटियों की प्रजातियाँ आसानी से देखने को मिल जाती है। इनका स्वाभाव बेहद समाजिक होता है।

चीटियां कतारों में चलने के लिये करती है, फेरोमोन का स्त्रावणः
इनकी कतारों में रानी चींटी, श्रमिक चींटी, नर चींटियां शामिल होती है। कालोनियों का संचालन रानी चींटी द्वारा किया जाता है यह अन्य चींटियों को नियंत्रित करने का कार्य करती है जब यह भोजन की तलाश में निकलती है तो रानी चींटी सबसे आगे चलती है। अन्य रानी चींटी के पीछे अपने पैरों से फेरोमोन का स्त्रावण करते हुये चलती है जिससे सभी कतार में चलना प्रारम्भ कर देती है जिस रास्ते पर जितनी अधिक चींटियां चलती है उनके फेरोमोन पद्चिन्ह्र उतने अधिक मजबूत हो जाते है।

इनकी सयुक्त आंखे पास की वस्तुओं को देखने में सक्षम होती है अग्नि चींटी घर के संरक्षण का कार्य करती है। चीटियां दिन में चार से पाँच घंटे तक की नींद आराम से लेती है जबकि रानी चींटी नौ घंटे की नींद पूरी करती है। डंक मारने के बाद यह कार्बनडाईऑक्साइट और काटने पर फार्मिक एसिड का स्त्रावण करती है। इनका कंकाल जलरोधी काइटिन का बना होता है पानी पीने के लिये पौधौ का रस, ओस एंव बारिश की बूंदों का इस्तेमाल करती है। चीटियां भोजन के बिना एक से दो दिन और पानी के बिना पाँच दिन तक जीवित रह सकती है। दुनियाँ की सबसे बड़ी चींटी पाँच से छः इंच लम्बी डायनोपोनेरा प्रजाति की ऑस्ट्रेलिया में पायी जाती है।
घरों में काली चींटियों को आना देता है, शुभ संकेतः
अक्सर सभी घरों में चींटियों की कतारे देखने को मिल जाती है इसमें काली चींटियों का आना शुभ माना जाता है जबकि लाल चींटियों की कतारे धनहानि और सुख समृद्धि में कमी जैसे लक्षणों को प्रदर्शित करती है यदि घर में चींटियों की कतारे दिखाई दे उस स्थान पर उनके भोजन के लिये चीनी और आटे का महीन चूर्ण मिलाकर डाल दें इससे जीवन में शुभता बनी रहती है और उनको पर्याप्त मात्रा में भोजन आसानी से मिल जाता है।
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