Mehandipur Balaji: मेंहदीपुर बालाजी को भूत-प्रेतों और नेगेटिव एनर्जी को दूर करने के लिए जाना जाता है। ये मंदिर राजस्थान के दौसा जिले के मेहंदीपुर गांव में स्थित हैं। हनुमान जी के अलावा यहां प्रेतराज सरकार और भैरव बाबा के दर्शन की जाती हैं। यह मंदिर दो पहाड़ियों के बीच बसा हुआ होने के कारण बहुत ज्यादा लुभावना लगता हैं। आइए देखते हैं। इस मंदिर के बारे में…
स्वंय प्रकट हुई मुर्ति

प्राचीन काथा के अनुसार बताया जाता है कि जिस जगह आज मंदिर है वहां कभी घना जंगल हुआ करता था। एक बार श्री महंत जी के सपने में इन देवताओं ने दर्शन दिए और उन्हें एक मंदिर बनाने का संकेत दिया। इस सपने के बाद हुई खुदाई में सचमुच तीन मुर्तीयां मिली। मान्यता हैं कि, यह मूर्ति किसी कलाकार द्वारा नहीं बनाई गई, बल्कि स्वयं प्रकट हुई और यह मंदिर भूत-प्रेत और नेगेटिव एनर्जी को दूर करने के लिए प्रसिद्ध है।
क्या नियम है, मेहंदीपुर बालाजी के
मेंहदीपुर जाने के कम से कम वन वीक पहले से ही आपको नाॅनवेज खाना छोड़ देना चाहिए। बालाजी महाराज के दर्शन से पहले अपको प्रेतराज सरकार का दर्शन करना जरूरी हैं और फिर ही बालाजी महाराज का दर्शन करें। अन्त में कोतवाल भैरवनाथ का दर्शन करें। मंदिर के अन्दर किसी भी व्यक्ति से कोई भी चीज़ यहां तक कि प्रसाद भी न लें और न ही किसी व्यक्ति को कोई भी चीज़ जैसे प्रसाद भी न दें। आते तथा जाते समय भूल के भी पीछे मुड़कर नही देखना चाहिए। आने और जाने की अर्जी लगाकर ही जाऐ क्योंकि ऐसा माना जाता हैं कि बाबा की आज्ञा से ही कोई मेंहदीपुर आता और जाता हैं।
देवताओं के पद और उनके भोग

ऐसी मान्यता है कि मेंहदीपुर में इन तीनों देवताओं को उनके अलग-अलग पद प्राप्त हैं और उनके प्रिये भोजन भोग के रूप में लगते हैं। जैसे प्रेतराज सरकार दरबार के दण्डनायक हैं,जो बुरी आत्माओं को दण्ड देने का कार्य करते हैं। इन्हें खीर का भोग लगता हैं। बालाजी महाराज मेंहदीपुर के राजा हैं। जिनके समाने बुरी आत्माओं की अर्जी लगती हैं और उन्हें लड्डुओं का भोग लगता हैं और कोतवाल भैरवनाथ सेना के सेनापति हैं। जिसके कारण उन्हें कोतवाल यानी कप्तान भी कहा जाता हैं। दही भल्ले और जलेबी इनके प्रिये भोग हैं।
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