Vamana Dwadashi & Odam: September 2025: भगवान विष्णु का पांचवा अवतार वामन अवतार, प्रह्रलाद के पौत्र और विरोचन के पुत्र राजा बलि अपनी शक्ति से पूरे ब्रह्मांड पर अपना कब्जा कर देवताओं को परेशान कर रहे थे जिससे देवताओं की समस्त शक्तियाँ समाप्त हो चुकी थी देवलोक में खतरा बढ़ गया था तब देवताओं और इन्द्र ने भगवान विष्णु से मदद माँगी तब विष्णु जी ने सभी देवताओं को राजा बलि से मुक्त कराने एंव अहंकार तोड़ने का वचन दिया और त्रेता युग के प्रारम्भ में बक्सर में गंगा नदी के सिद्धाश्रम स्थल पर माता अदिति और कश्यप ऋषि के पुत्र रुप में भगवान विष्णु बौने ब्रह्राम्ण वामन अवतार में प्रकट हुए।
वामन द्वादशी में द्वारकाधीश महाराज बने वामन अवतारीः
कमला टावर स्थित द्वारकाधीश मंदिर के द्वारकाधीश महाराज वामन रुप धारण किये भगवा रंग के वस्त्र, सिर पर मोर पंख की पगड़ी और हाथों में कमंडल लिये अनोखी छटा बिखेर रहे थे जिसको देख भक्तों का मन प्रफुल्लित हो रहा था।
वामन ने पहले पग में मापा स्वर्ग, दूसरे पग में मापी पृथ्वीः
भगवान विष्णु दस अवतारों में पांचवा अवतार वामन अवतार में राजा बलि के यज्ञ में पहुँचे और राजा बलि से तीन पग भूमि भिक्षा में माँगी राजा बलि ने अपने गुरु शुक्राचार्य की चेतावनी को अनसुना करके वामन को तीन पग भूमि देने का वचन दे दिया। वामन ने पहले पग में स्वर्ग को माप लिया दूसरे पग में पृथ्वी को मापा और जब तीसरे पग के लिये कोई स्थान नही था तो राजा बलि ने वामन को अपना सिर दे दिया तब राजा बलि की वचनबदॄता से प्रसन्न होकर वामन अवतार धारित भगवान विष्णु ने अपना तीसरा पग राजा बलि के सिर पर रखा और उसे पाताल लोक का स्वामी बनाकर देवलोक देवताओं को वापस लौटा दिया और बलि को वरदान दिया कि वह वर्ष में एक बार अपनी प्रजा से मिलने पृथ्वी लोक पर आ सकते है

राजा बलि के पृथ्वी पर आगमन पर मनाया जाता ओणम का त्योहारः
इसलिये प्रत्येक वर्ष ओणम का त्योहार भगवान विष्णु के परम भक्त राजा बलि के पृथ्वी पर आगमन की खुशी में केरल में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। राजा बलि के शासन काल को केरल में स्वर्णिम काल कहा जाता है। दस दिनों तक मनाये जाने वाले इस त्योहार को फसल कटाई, मौसम की शुरुआत के साथ समृदिॄ एकता और प्रकृति की प्रचुरता का प्रतीक माना जाता है।