Saturday, July 12, 2025

Uttarakhand: का एक गांव जहां लोग नहीं छोड़ते अपना घर जानें क्या है कारण?

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Uttarakhand: जहां लोग नौकरी और रोजगार की तलाश में दर-दर भटकते रहते है। तो वही उत्तराखंड का एक गांव ऐसा है जहां लोग नौकरी और रोजगार के तलाश में गांव से शहर की ओर पलायन नहीं करते हैं। इस गांव के लोग अपने घर पर ही अपना व्यापार कर जीवन यापन करते है। सालों से इस गांव का एक भी व्यक्ति गांव छोड़कर बाहर की ओर कमाने नहीं गया। चलिए जानते हैं कि उत्तराखंड के इस अनोखे गांव की अनोखी कहानी।

Uttarakhand के टिहरी जिले में स्थित रौतू की बेली गांव पनीर विलेज के नाम से पूरी दुनिया भर में प्रसिद्ध है। बता दें कि रौतू की बेली गांव के 250 घरों में करीब 1500 लोग रहते हैं। साथ ही इस गांव के सभी परिवार पनीर बनाकर बेचते है।

जानकारी के मुताबिक इस गांव के लोग पहले दूध का व्यापार करते थे, दूध के व्यापार मे अधिक मुनाफा न होने के कारण गांव के लोग पनीर बनाने का काम शुरू कर दिए और आज भी इस गांव के लोग पनीर बनाकर बेचने का काम करते है। इस व्यापार के कारण गांव के लोग बाहर रोजगार के लिए नही जाते।

 1980 से बनाना रहे पनीर

लोगों का कहना कि सन 1980 के पहले गांव के हर परिवार के सदस्य दूध का काम करते थे, तब गांव के लोग दूध लेकर दिन में शहरों में जाते और शाम होते-होते घर वापस हो जाते है। इस व्यापार में उनका घर चलाना मुश्किल होता जा रहा था। इसके बाद गांव वालों ने 1980 में धीरे-धीर पनीर का कारोबार शुरू किया।

पनीर के व्यापार में अधिक फैयदा होने के चलते गांव वाले पनीर का ही कारोबार करने लगे। धीरे-धीरे पनीर का व्यापार यहां का मुख्य व्यापार बन गया। वहीं व्यापार को बढ़ता देख साल 2003 में उत्तराखंड राज्य का गठन होने के बाद उत्तरकाशी जिले के हाईवे का निर्माण किया गया, ये हाईवे का इस गांव से हो कर गुजरता है।

हाईवे के कारण पबल्कि का आवागमन बढ़ा। जिसके बाद गांव के लोगों ने पनीर को यहा से आने जाने के वालों को बेचना शुरु किया जिससे यहां का पनीर फेमस होता गया। खास बात ये है कि गांव के लोग पनीर में किसी भी तरीके की मिलावट नहीं करते। साथ ही इतना शुद्ध होने के बाद भी सस्ते दाम में बेचते हैं। इस वजह से पनीर की बिक्री बढ़ती गई।

ऐसी है इस गांव की परंपरा

गांव की परंपरा के हिसाब से गांव में जब भी कोई नई नवेली दुल्हन शादी होकर आती है तो उन्हे सबसे पहले पनीर बनाना सिखाया जाता है। पनीर के इस व्यापार में घर के बुजुर्ग, युवा और महिलाएं सब शामिल है। इस कारण से इस गांव के युवाओं का पलायन भी नहीं होता और पनीर बेच कर परिवार का पालन पोषण कर रहे हैं।  

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