UP Govt.Employees Rules: September 2025: ज्यादातर लोग सरकारी नौकरी प्राप्त करने के बाद यह सोचने लगते है कि अब उन्होंने सरकारी पद धारण कर लिया है वे उस पद पर बैठ कर अपनी मनमानी कर सकते है और कोई उन्हें उस पद से हटा नही सकता है। लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार ने सरकारी पदों पर तैनात कर्मचारियों के लिये कठोर नियम कानून बना रखे है जिसकी अवेहलना करने पर सरकारी कर्मचारियों को नौकरी से हाथ धोने के साथ कारावास और जुर्माने या फिर दोनों से दण्डित किये जाने का प्रावधान सरकार द्वारा किया गया है। यदि कोई सरकारी कर्मचारी अपराध में शामिल पाया जाता है 48 घंटे से अधिक हिरासत में रह चुका है तो उसको विभाग द्वारा निलंबित किया जा सकता है।
नियमावली 21 जुलाई 1956 अनुच्छेद 307 के तहत उत्तर प्रदेश राज्यपाल द्वारा सरकारी संस्थानों में कार्य करने वाले समस्त सरकारी कर्मचारी अचारसंहिता के दायरे में आते है। इसके तहत कर्मचारी सच्चाई ईमानदारी के व्यवहार को अपनाते हुये पद के कार्यो के अतिरिक्त व्यक्तिगत आचरण पेशे को ध्यान में रखकर सत्यनिष्ठा एंव कर्तव्यपरायणता के साथ सार्वजनिक हित के दायरे में रह कर सरकारी कार्यो को करने हेतु प्रतिबध है।
राजनीतिक गतिविधि में हिस्सा लेने पर रोकः
सरकारी संस्थानों में कार्यरत कर्मचारियों को राजनीतिक गतिविधियों में हिस्सा लेने पर रोक के अलावा, हड़ताल, निजी व्यापार, सरकारी उपकरणों, निवास स्थानों का निजी हित में प्रयोग और फर्नीचर आदि का दुरुपयोग, सरकारी जानकारियों को साझा करने एंव सरकारी नीतियों की आलोचना करने जैसी गतिविधियों को प्रतिबंधित किया गया है।

चल अचल सम्पत्ति का देना होता है, ब्योराः
नियमावली 1956 यह भी बताती है कि यदि कोई सरकारी कर्मचारी घूस या अवैध पारितोषण की माँग करता है भारतीय दण्ड संहिता के अन्तर्गत वह अपराधिक श्रेणी में आता है। किसी भी सरकारी पद को धारण करते समय एंव पद धारण करने के प्रत्येक पाँच वर्ष बाद अपनी चल अचल सम्पत्ति का ब्योरा देने एंव अर्जित की गई सम्पत्ति के साधनों का भी विवरण प्रत्येक कर्मचारी को देना होता है यदि अनुपात में आय से अधिक की सम्पत्ति रखता है तो माना जायेगा कि उसने अनुचित साधनों से सम्पत्ति का अर्जन किया है और उसके खिलाफ इस नियमावली के कार्यवाही की जा सकती है। यदि कोई सरकारी कर्मचारी वरिष्ठ अधिकारियों के वैध आदेशों को स्वीकार करने से इन्कार करता है उसके साथ गाली गलौज अपमानजनक व्यवहार या आज्ञा को भंग करता है तो यह गंभीर दुराचारण की श्रेणी में शामिल है। सरकारी कर्मचारियों को किसी अन्य संम्बंधित द्वारा मूल्यवान भेंट या अनुग्रह स्वीकार करने पर सख्त मनाही है। नियमावली 1956 समाज में बढ़ रही दहेज जैसी कुरीतियों पर भी पाबंदी लगाती है। इसके तहत सरकारी कर्मचारियों पर दहेज लेने और देने पर भी रोक लगाई गयी है।
कर्मचारियों पर, इन धाराओं के तहत हो सकती है,कार्यवाहीः
सरकारी कर्मचारियों द्वारा किसी व्यक्ति को नुकसान पहुंचाने के इरादे से किये गये कृत्य पर धारा 166 के तहत कार्यवाही का प्रावधान है जबकि उगाही भ्रष्टाचार के कृत्य पर धारा 383, 384, 386 लग सकती है सरकारी सम्पत्ति को नुकसान पहुंचायें जाने पर धारा 378 और मानहानि जैसे मामलों में धारा 500 को शामिल किया गया है जिसके अन्तर्गत सादा कारावास जुर्माना या फिर दोनों से दण्डित किये जाने का प्रावधान है।


