Sunday, August 10, 2025

Subscription Trap: खुशी का सब्सक्रिप्शन पैक-क्या अब नींद, सुकून, हसीं और मुस्कान भी महीने के पैक में आएगी?

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Subscription Trap : आजकल हर कोई किसी ना किसी तरह का सब्सक्रिप्शन पैक खरीद रहा है. ऐसे अनगिनत Apps और Websites है जो हमें शुरूवात में तो बड़ी अच्छी लगती है. एक छोटा सा शुल्क दो और अनलिमीटेड एक्सेस पाओं लेकिन आगे जाके यही सुविधा हमारे खर्चे और टाईम को कंट्रोल करती है.

यह सब्सक्रिप्शन मॉडल दिमागी तौर पर तो बहुत ही स्मार्ट है. छोटी-छोटी मासिक या वार्षिक फीस लेके हमें सब्सक्रिप्शन मिलता है, जिससे हमें लगता है कि एक चॉकलेट जितना ही खर्चा हम कर रहे है. लेकिन हमने यह चॉकलेट जितने मासिक खर्च वाले 20 -25 सब्सक्रिप्शन ले रखें होते है, जो हमें बैंक स्टेटमेंट में देखने को मिलते है.

क्या होगा अगर आपका फुड, हेल्थ और जिंदगी भी हो सब्सक्रिप्शन बेस्ड?

दुनिया भर में यह समस्या तेज़ी से बढ़ रही है. इसका असर सिर्फ जेब पर नहीं बल्की मानसिक संतुलन, खुशी, सेहत और आपकी नींद पर भी पड़ रहा है. कई बार तो हम यह भी भूल जाते हैं कि हमने सब्सक्रिप्शन किस किसका ले रखा है. यही असली ट्रॅप है, जो महसूस करवाए बिना हमसे जेब खाली करवाते है.

भारत में भी यह ट्रेंड अब तेजी सें फैल रहा है. शुरूवात में सब्सक्रिप्शन मॉडल सिर्फ Entertainment तक सीमित था, लेकिन अब फुड, शिक्षा, फिटनेस, योगा, काउंसलिंग, मेडिटेशन तक पहुंच चुका है. समस्या केवल पैसे कि ना हो कर मानसिक प्रेशर कि भी है, हर महीने हमें जो ई-मेल, नोटिफिकेशन्स मेसेज और कॉल्स याद दिलाते रहते है कि आपका पैक खत्म होने को है- रिन्यू करे और बचत पाये। या फिर आपका ऑटो डिडक्शन हो चुका हैं. हमें इन चिजों कि इतनी आदत पड गई है कि हमें लगता है इनके बिना हम जी नहीं सकतें.

अगर यही ट्रेंड चलता रहा तो एक दिन शुद्ध पानी, खाना और सुरक्षित माहौल के लिए भी सब्सक्रिप्शन पैक खरीदना पडेगा. हमारे लिए यह एक चेतावनी है कि अगर मनोरंजन से आगे निकलकर जरूरत और निजी फैसलों के लिए हम सब्सक्रिप्शन पैक पर डिपेंड होने लगे तो हमारा पूरा जीवन कंपनियों के सर्वर और बिलिंग सिस्टम में डिपेंडंट हो जाएगा.

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