Sawan 2025: 23 जुलाई को सावन की शिवरात्री है। यदि आपका विवाह हो गया है तो उसे सुखी बनाने के लिए और अगर आपकी मनोकामना वर की प्राप्ति के लिए ये व्रत बेहद फलदायी होता हैं। वैसे तो सावन के हर दिन पावन कहे जाते है लेकिन सावन की शिवरात्री की विशेष मान्यता है।
शिवरात्री की पूजन विधी और पूजा सामग्री
मिट्टी का पार्थिव शिवलिंग बनाएं उस पर दूध, दही, शहद, घी, दो जनेऊ, शक्कर,इत्र और गंगाजल, 5 प्रकार के फल, 7 बेलपत्र, शमी पत्र, गेहू के दाने, कमल गट्टे, लाल फूल, सादे पुष्प, इलायची, पान के पत्ते, गुलाल, 108 चावल के दाने, मिठाई, जल काली मिर्च, कलावा, कपूर, घी को दीपक, अबीर, लॉन्ग, पीला,रोली, चन्दन, घी आदि सभी समाग्रियों को एकत्रित कर लें।

जानें पूजन का समय और मूहूर्त
कल यानी शिवरात्री 23 जुलाई को सुबह 5 बजकर 37 मिनट से दोपहर 03 बजकर 31 मिनट तक भद्राकाल रहेगा। भद्रा काल में शुभ और मांगलिक कार्य वर्जित माने जाते हैं, लेकिन भगवान शिव की पूजा में इसका कोई असर नहीं होता हैं, भद्राकाल में भी आप शिव की पूजा कर सकते हैं। जो भी सच्चे मन से इनकी आराधना करता है उसकी पूजा में सदा फलित होती है।
जानें कितने प्रहर में होगी शिवरात्रि की पूजा
पहला प्रहर- शाम 6.59 से रात 9.36
दूसरा प्रहर-रात 9.36 से 12.13 तक
तीसरा प्रहर- रात 12.13 से 2.50
चौथा प्रहर-2.50 से 5.27 तक
जो व्यक्ति भगवान शिव पर जो लोग सुबह शिव जी पर जल चढ़ाना चाहते हैं वो ब्रह्म मूहूर्त में पूजन करें।
शिवरात्री पर भोग
शिवरात्री पर शिव के साथ माता पार्वती की भी पूजा होती है। इसलिए इस दिन सूखा मावा, खीर, हलवा, लस्सी, सफेद बर्फी, यानी कि सफेद रंग की मिटाई का भोग लगा सकते है। माता पार्वती और भोलेनाथ को पंसद है।
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