Rangoli: भारत एक ऐसा देश है जहां हर राज्य की अपनी अलग सांस्कृतिक पहचान और परंपराएं हैं। इन्हीं परंपराओं में से एक है रंगोली बनाने की कला, अलग-अलग राज्यों में इसे अलग नामों और शैली में बनाया जाता है। आइए जानते हैं भारत के कुछ प्रमुख पारंपरिक रंगोली रूपों के बारे में —
अरिपन रंगोली (बिहार)

बिहार के लोग इस रंगोली से अपने घर को सजाते है। अरिपन को अलग अलग त्योहारों और शुभ कार्य में भी बनाया जाता है , इस में चावल के पेस्ट का प्रयोग किया जाता है जिसे पीठार कहते है। महिलाएं आंगन को गोबर से लिपकर उस पर पीठार के पेस्ट से पारंपरिक ज्यामितीय और धार्मिक आकृतियां बनाती हैं।
मांडना (राजस्थान)

राजस्थान में खासतौर पर दीवाली या होली के समय मांडना मनाया जाता है। इसको बनते वक्त व्हाइट चॉक और लाल गेरूए का इस्तमाल किया जाता है और अनेक प्रकार फूल पत्तियों की डिजाइन, जानवर और ज्योमेट्री पैटर्न की मदद से रंगोली मनाई जाती है, यह न केवल सजावट का माध्यम है बल्कि घर में देवी-देवताओं के स्वागत का प्रतीक भी है।
झोटी और चिता रंगोली (उड़ीसा)

ओडिशा में रंगोली को झोटी या चिता कहा जाता है। इसे घर के प्रवेश द्वार और आंगन में बनाया जाता है। इसमें भी चावल के घोल का उपयोग होता है और डिज़ाइन में धार्मिक प्रतीक, फूल और लोक आकृतियां बनाई जाती हैं।
कोलम रंगोली (तमिल नाडु)

दक्षिण भारत, विशेषकर तमिलनाडु में रंगोली को कोलम कहा जाता है। इसे रोज सुबह घर के दरवाजे के सामने चावल के आटे से बनाया जाता है। कोलम का उद्देश्य न केवल सौंदर्य बढ़ाना है बल्कि यह पक्षियों और कीड़ों के लिए भोजन का प्रतीक भी है। इसकी डिजाइनें गणितीय और ज्यामितीय पैटर्न पर आधारित होती हैं।
मुग्गुलु रंगोली (आंध्र प्रदेश)

आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में रंगोली को मुग्गुलु कहा जाता है। इसे खासतौर पर पोंगल और संक्रांति त्योहारों पर बनाया जाता है। सफेद चावल के पाउडर से बनाए जाने वाले इन पैटर्नों में बिंदुओं को जोड़कर सुंदर डिज़ाइन तैयार की जाती हैं। यह कला देवताओं के प्रति श्रद्धा और घर में समृद्धि लाने की भावना को दर्शाती है।
यह भी पढ़ें : Dhanteras 2025 special: पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और खरीदारी के शुभ संकेत एक जगह

