Peepal Tree: भारत श्रीलंका और इडोनेशिया में आध्यात्मिक, पर्यावरणीय और औषधीय रुप से लाभ प्रदान करने वाला पीपल वृक्ष का हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्व है। इसकी आयु सौ से एक सौ पचास वर्ष तक होती है लेकिन उपवन में लगाये गये वृक्षों की आयु एक हजार वर्ष तक भी हो सकती है।

मान्यता है कि ब्रह्मांडीय संतुलन बिगड़ने और प्रकृति के पीछे हटने के कारण भगवान शिव ने शनिदेव को उन्नीस वर्षो तक पीपल वृक्ष में उल्टा लटकाये रखा जिसके बाद ब्रह्मांडीय संतुलन स्थापित हुआ। शनिवार को पीपल वृक्ष की पूजा अर्चना एंव पाँच या नौ परिक्रमा करने से शनिदेव शुभ फल देने के साथ ही शनि की साढ़ेसाती और ढैया भी समाप्त करते है। क्योंकि इस दिन पीपल वृक्ष में शनिदेव के अलावा ब्रह्मा, विष्णु, महेश और लक्ष्मी जी का भी वास होता है।
पीपल के नीचे हनुमान चालीसा पढ़ने से शत्रु होते, परास्तः
सोमवार को पीपल वृक्ष में जल चढ़ाने से भगवान शिव प्रसन्न होते है और राहु केतु शनि ग्रह शान्त होते है। हल्दी गुड़ और चने की दाल डालकर शुक्ल पक्ष के गुरुवार को जल चढ़ाने से मनचाहा फल प्राप्त होता है। पूर्णिमा तिथि पर पीपल वृक्ष में फूल, फल और मिष्ठान चढ़ा कर माता लक्ष्मी की उपासना से ग्रह दोष और बाधायें दूर होती है। पीपल वृक्ष के नीचे बैठ कर हनुमान चालीसा पढ़ने शत्रु परास्त होते है।

त्रयोदशी और अमावस्या में होता है, पीपल में पितरों का वासः
ऐसा माना जाता है कि हमारे पूर्वज पितृपक्ष में पन्द्रह दिनों तक पृथ्वी एंव पीपल वृक्षों पर वास करते है इसलिये हिंदू धर्म इन पन्द्रह दिनों तक पितरों का पूजन एंव भोजन अर्पण करने से पितृ प्रसन्न होते है और उनके आशीर्वाद से हमारे जीवन संघर्ष और बाधायें दूर रहती है। लेकिन इन दिनों के अलावा त्रयोदशी और अमावस्या को भी पितृ पीपल वृक्षों में वास करते है इन दिनों विधि विधान से पूजा करने एंव सात या ग्यारह परिक्रमा करने से पितृ दोष दूर होता है
रविवार को भूल से भी न पूजे पीपल वृक्ष
रविवार को पीपल वृक्ष में अलक्ष्मी का वास होता है इस दिन पीपल की पूजा अर्चना और जल चढ़ाने से धनहानि और दुर्भाग्य का सामना करने के साथ ही व्यक्ति के पुण्य कर्म भी समाप्त होने लगते है।
लेकिन पीपल वृक्ष उखाड़ने के लिये रविवार का दिन सबसे उपयुक्त माना जाता है एक हजार पत्तो से ज्यादा का वृक्ष है तो इसकी विधि विधान से पूजा करके एक पीपल पौधा दूसरी जगह स्थापित करने के बाद वृक्ष को जड़ सहित उखाड़ कर नदी में प्रवाहित कर देना चाहिये। यदि छोटा पौधा है तो इसको उखाड़ने के लिये पूजन की जरुरत नहीं है पीपल को कभी काट कर नहीं हटाना चाहिये।

पीपल वृक्ष देता है, चौबीस घंटे ऑक्सीजनः
चौबीस घंटे ऑक्सीजन देने वाला विशाल पीपल वृक्ष पर्यावरण में सकरात्मक ऊर्जा प्रवाहित करने, आत्मा को शुदॄ और आत्मज्ञान देने के साथ वायु प्रदूषण को भी कम करने के लिये विशेष महत्व रखता है।
यदि पीपल वृक्ष के औषधीय गुणों की बात की जाय तो इसकी छाल से बनने वाली औषधियां वात्, कफ, पित्त और ह्दय रोगियों के लिये बेहद लाभकारी होती है। इन सभी गुणों से परिपूर्ण पीपल वृक्ष समस्त प्राणियों के जीवन के लिये अत्यन्त महत्वपूर्ण है।
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