Maharajganj News: बरसात का मौसम शुरू होते ही जिले का महाव नाला एक बार फिर टूट गया। इस हादसे ने सिंचाई विभाग के कामकाज और मरम्मत के दावों की सच्चाई उजागर कर दी है। करोड़ों रुपये खर्च होने के बावजूद नाला दूसरी बार बारिश का दबाव नहीं झेल सका।
खेत बने तालाब
नाले के टूटते ही आसपास के गांवों के खेतों में पानी भर गया। धान और खरीफ की फसल पूरी तरह जलमग्न हो गई है। किसानों का कहना है कि उनकी मेहनत और लागत दोनों पर पानी फिर गया है। अब उन्हें भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है।

ग्रामीणों की नाराज़गी
गांववालों का आरोप है कि हर साल नाले की मरम्मत के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च दिखाए जाते हैं, लेकिन असलियत यह है कि काम केवल कागजों तक ही सीमित रहता है। घटिया सामग्री और खानापूर्ति की वजह से नाला पहली ही तेज़ बरसात में टूट जाता है।
प्रशासन पर सवाल
ग्रामीणों का कहना है कि विभाग और ठेकेदार मिलकर सिर्फ पैसा हजम करते हैं। जब नाला टूटता है तो नुकसान सीधे किसानों को झेलना पड़ता है। लोगों का कहना है कि अब सिर्फ मरम्मत के वादों से बात नहीं बनेगी, जिम्मेदार अफसरों और ठेकेदारों पर कार्रवाई जरूरी है।
कब तक भुगतेगी जनता?
ग्रामीणों का सवाल है कि आखिर कब तक उन्हें प्रशासन की लापरवाही का खामियाज़ा भुगतना पड़ेगा। हर साल लाखों-करोड़ों रुपये खर्च होने के बाद भी अगर नाला ठीक नहीं हो पाता, तो इसका जवाबदेह कौन है?
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