Lunar eclipse on Bhadrapada Purnima: रविवार को भाद्रपद पूर्णिमा पर लगे चंद्रग्रहण का असर महराजगंज जिले के मंदिरों पर भी दिखा। धार्मिक परंपरा का पालन करते हुए जिले के प्रमुख मंदिरों को समय से पहले बंद कर दिया गया।
बंद रहे प्रमुख मंदिर
श्याम मंदिर, हनुमानगढ़ी, दुर्गा मंदिर, लेहड़ा देवी और निचलौल के इंटहिया शिव मंदिर सहित कई मंदिरों के कपाट रविवार शाम 5 बजकर 54 मिनट पर बंद कर दिए गए। पुजारियों ने बताया कि ग्रहण का प्रभाव भगवान पर नहीं पड़ता, लेकिन इस समय लोगों का मंदिर में दर्शन और पूजा करना वर्जित होता है।
सूतक और ग्रहण का समय
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार ग्रहण से पहले सूतक काल दोपहर 12:57 बजे से शुरू हो गया था।
ग्रहण का आरंभ (स्पर्श) रात 9:57 बजे हुआ।
मध्यकाल रात 11:49 बजे रहा।
मोक्ष काल रात 1:27 बजे पूरा हुआ।
इस दौरान धार्मिक कार्य, भोजन और देव दर्शन वर्जित माने जाते हैं।
ग्रहण के बाद शुद्धिकरण
ग्रहण समाप्त होने के बाद सोमवार सुबह ब्रह्म मुहूर्त में मंदिरों को खोला जाएगा। उससे पहले गंगाजल और पंचगव्य से देव प्रतिमाओं का स्नान कराया जाएगा। स्वयंभू शिवलिंग वाले मंदिरों में केवल गंगाजल से शुद्धिकरण होगा, जबकि स्थापित प्रतिमाओं को पंचगव्य और फिर गंगाजल से स्नान कराया जाएगा।
श्रद्धालुओं की मान्यता
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ग्रहण काल में केवल भगवान का स्मरण करना ही शुभ माना जाता है। श्रद्धालुओं ने इस दौरान घरों में भजन-कीर्तन और जप-ध्यान किया। मोक्ष काल पूरा होने के बाद लोग एक बार फिर मंदिर जाकर पूजा-अर्चना करेंगे।
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