Janmashtami: राधा कृष्ण का असीम प्रेम भावनाओं से परे है। जब भी आप किसी राधा कृष्ण मंदिर की चौखट पर कदम रखते है तो एक भव्य प्रेमानुभूति होने लगती है मानो जैसे प्रेम अंर्तमन में निहित हो गया, ऐसे ही प्रेमपूर्ण दृश्यों प्रतिमाओं से परिपूर्ण कानपुर शहर का जे.के. मंदिर जिसका निर्माण कार्य 1950 में शुरू किया गया था। 1960 में इसके पट दर्शकों के लिये खोल दिये गये मंदिर की वास्तुकला एंव शान्त वातावरण यहाँ आये दर्शकों के हृदय को प्रफुल्लित कर देता है।

दिन दो गुनी रात चौगूनी होती है उन्नति
मंदिर की नकाशी धार्मिकता से परिपूर्ण एंव एतिहासिक कहानियों को दृश्याकिंत करती है। मन्यता है कि मंदिर निर्माण के समय आये एक साधू ने कहा था की मंदिर का निर्माण कार्य हमेशा चलता रहना चाहिये जिससे दिन दूनी रात चौगनी तरक्की होती रहेगी ऐसा न करने पर तरक्की होना बन्द हो जायेगी। इसलिये पिछले साठ सालों से मंदिर में चाहे एक ईट लगाई जाये लेकिन निर्माण कार्य जारी रहता है।
मंदिर की नायाब वस्तुकला चारों दिशायें और पंच तत्व का समायोजन सकरात्मक ऊर्जा का प्रतीक है मंदिर के मुख़्य गेट से ही राधा कृष्ण की प्रतिमा स्पष्ट दिखाई देने लगती है यह पृथ्वी तत्व माना जाता है, जल तत्व का आभास रंग बिरंगी रौशनी से सुसज्जित फव्वरा कराता है जबकि मंदिर की सीढ़ियाँ अग्नि तत्व को प्रदर्शित करती है, अन्दर का स्थान वायु तत्व का एहसास कराता है पाँच शिखरों में सबसे बड़े शिखर में राधा कृष्ण विराजमान है।
कई छात्रों ने की नृत्य प्रस्तुति
मंदिर की अनोखी छवि को देखने के लिये देश विदेश से दर्शकों का आगमन होता है। जे.के. शिक्षण संस्थानों एंव धर्म स्थानों का अनोखा संगम दोनों एक दूसरे की झलक को अपने में समाहित करते है। आज के युवा वर्ग को धर्म और शिक्षा दोनों के ज्ञान को ध्यान में रखते हुये यहाँ समय समय पर भव्य कार्यकम का आयोजन होता रहता है। सावन माह में सावन मेले के साथ ही अन्य कार्यकम आयोजित किये जा रहे है।

जिसमें छात्राओं ने शिव और राधा कृष्ण की भंगभगिमाओं से शुशोभित सुंदर नृत्य प्रस्तुत किये शॉम के मनोरम दृश्य और चाँद के अर्धस्वरूप रौशनी में जे.के. मंदिर ऐसा दृश्याकिंत हो रहा था मानो धरती पर स्वर्ग अनुभूति हो रही हो सैकङों की संख्या में आये भक्तगण इस मनोरम दृश्य का आनन्द उठाते नजर आये वहीं साजोसज्जा से शुशोभित सावन मेला दर्शकों के आकर्षण का केन्द्र रहा।
15 अगस्त से 21 अगस्त तक कई कार्यक्रमों का आयोजन
रक्षाबनधन की शॉपिंग करते दिखाई दिये। जे.के. मंदिर की कान्हा कोठी में राधा कृष्ण और लड्डू गोपाल की आकर्षक मूर्ति की खरीददारी के लिये भी दर्शक उत्साहित दिखे। श्री कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर 15 अगस्त से 21 अगस्त तक के कार्यक्रमों में देवकी वासुदेव विवाह और भविष्यवाणी, कृष्ण जन्मउत्सव एंव बाललीला, पूतना वध, वकासुर वध, आघासुर वध, महारास, गोवर्धन पर्वत, कंश वध, कृष्ण राज्यभिषेक, कृष्ण रूकमणि विवाह, कृष्ण सुदामा एक्ट, द्रौपदी चीरहरण, विराट रूप और गीता उपदेश आदि कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जायेगा।

ये लेख पत्रकार प्रीति राठौर
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