International Girl Child Day: October 2025: चंदा सी निर्मल है बेटियां, सूरज सी रोशन है बेटियां, पक्षियों की चहक है बेटियाँ, तितलियों सी नाजूक है बेटियां, चट्टानों सी मजबूत है बेटियां, तारों की चमक है, बेटियां, घर की जान है बेटियां, माता पिता की शान है बेटियां, पार्वती बने सम्मान में बेटियां, अपमान में काली रुप धारण करती है बेटियां। 11 अक्टूबर दिन शनिवार को सम्पूर्ण विश्व बालिका दिवस के रुप में माना रहा है।
अतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस की 2012 में की गई शुरुआतः
बालिकाओं को उनके अधिकारों के लिये उन्हें सशक्त बनाने के उद्देश्य से अतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस की शुरुआत 2012 में की गई थी। बालिकाओं के बिना समाज की कल्पना करना व्यर्थ है, इनके अधिकार मानव अधिकार है।यह विकसित लोकतंत्र और समाज की नीवं है बालिकाओं को शिक्षा, नौकरी और समाज में प्राप्त अधिकारों से वंचित नही रखा जा सकता है।


यदि बालिकाओं के अधिकार की बारे में बात कि जाय तो उनकों कानून द्वारा उच्च पोषण और जीवन का अधिकार, आरटीई 2009 के तहत मुफ्त अनिवार्य शिक्षा के अधिकार, अधिनियम 1994 में शारीरिक मानसिक सुरक्षा के अधिकारों के साथ 2006 अधिनियम के अनुसार बाल विवाह प्रतिषेध किया गया है। इसके अलावा बलिकाओं के अधिकारों में जाति, लिंग, धर्म, जन्मस्थान में भेदभाव से मुक्ति और उनके भविष्य को प्रभावित करने विचारों को व्यक्त करने के अधिकारों को भी शामिल किया गया है।
बालिकाओं की प्रगति पर रोक से लोकतंत्र की हानिः
अधिनियम 2018 में संशोधन के दौरान 12 वर्ष से कम उम्र की बालिकाओं के रेप जैसे मामलों के लिये अपराधी को मृत्युदण्ड देने का प्रावधान किया गया है। समस्त अधिकारों से सक्षम और शिक्षित बालिकायें विकास में सहायक होती है और संपूर्ण लोकतंत्र के विकास को गति प्रदान करती है। इसलिये लैंगिकता भेद को प्रोत्साहन देते हुये बालिकाओं को बालकों से कम आंकना बालकों की चाह में भ्रुण हत्या जैसे मामलों को बढ़ावा देना या उनके अधिकारों का हनन करना और उनकी आगे बढ़ने की प्रगति पर रोक लगाना लोकतंत्र के लिये एक बड़ी हानि का कारण बन सकती है।
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