Heart chakra: अनाहत चक्र हमारे भीतर का वह ऊर्जा स्रोत है, जो दिल को प्यार से और आत्मा को दया से भर देता है। यह चक्र खुलते ही जीवन हल्का और सुंदर हो जाता है। आइए विस्तार से जानते चौथे चक्र के बारे में
अनाहत चक्र
मणिपुर चक्र के बाद आता है चौथा ऊर्जा केंद्र – अनाहत चक्र, जिसे Heart Chakra कहा जाता है।यह चक्र हमारी छाती के बीच में स्थित होता है। इसका का तत्त्व वायु है , रंग हर है और बीज मंत्र yam “यां” है । साथ ही यह चक्र हमारे प्यार , करुणा, और संबंधों का केंद्र होता है।

जब यह चक्र संतुलित (Balanced) होता है तब व्यक्ति खुद से और दूसरों से प्यार और दया से पेश आता है। रिश्तों में सामंजस्य और समझ बनी रहती है। साथ ही मन में शांति और खुशी का भाव आता है। जब यह चक्र असंतुलित (Unbalanced) होता है तब व्यक्ति को अकेलापन, ईर्ष्या, और नफरत घेर सकती है। रिश्तों में दूरी और कड़वाहट बढ़ती है । शारीरिक रूप से दिल और फेफड़ों से संबंधित समस्याएँ हो सकती हैं।
अनाहत चक्र को संतुलित करने के उपाय
योग आसन (Yoga Poses)
ऊष्ट्रासन (Camel Pose), भुजंगासन (Cobra Pose) ,उर्ध्वमुख श्वानासन (Upward Facing Dog) ,मत्स्यासन (Fish Pose)
खान-पान (Food)
हरी पत्तेदार सब्जियां (पालक, मेथी, धनिया)। हरे फल जैसे कीवी, अंगूर, हरा सेब। ग्रीन टी और हर्बल ड्रिंक।

और क्या करें (Lifestyle Tips)
प्रकृति में समय बिताए, खासकर बगीचे या पेड़ों के बीच। कृतज्ञता (Gratitude) की आदत डालें। हरे रंग को जीवन में शामिल करें। रत्नों में एमराल्ड , ग्रीन अवेंट्युरिन, रोज़ क्वार्ट्ज पहन सकते हैं।
सकारात्मक वाक्य (Affirmation)
अनाहत चक्र को जागृत करने के लिए रोज़ यह वाक्य दोहराए: “मैं प्यार हूं, मैं करुणा हूं और मेरा हृदय हमेशा खुला है।”
(I am love, I am compassion, and my heart is open.)

