Govardhan Puja: October 2025: राजा द्रोणाचल का पुत्र गोवर्धन पर्वत जिन्हें गिरिराज पर्वत के नाम से भी जानते है। ब्रह्मा के सात पुत्रों में से एक ऋषि पुलस्त्य ने जब राजा द्रोणाचल से उनके पुत्र गोवर्धन को काशी ले जाने के लिये आग्रह किया। राजा द्रोणाचल ने उनके आग्रह को स्वीकारते हुये गोवर्धन की शर्त के अनुसार उनको रास्ते में जमीन पर कही न रखने की बात को मानकर गोवर्धन पर्वत को काशी ले जाने की इजाजत दे दी। जब ऋषि पुलस्त्य गोवर्धन को काशी ले जा रहे थे तब गोवर्धन पर्वत ब्रज के पास रास्ते में भारी होने लगे। और उनका भार ऋषि सहने में असमर्थ हो गये और गोवर्धन को जमीन पर रख दिया जिसके बाद गोवर्धन पर्वत ने अपना आकार विशाल कर लिया और ब्रज में ही स्थापित हो गये।


श्री कृष्ण के कहने पर ब्रजवासियों ने शुरु की गोवर्धन पर्वत की पूजाः
जब समस्त ब्रजनिवासी अपनी फसलों के लिये जल की आवश्यकता पूर्ति हेतु वर्षा के लिये इन्द्रदेव की पूजा करते थे तब जगत विधाता श्री कृष्ण ने ब्रजवासियों को इन्द्रदेव के स्थान पर गोवर्धन पर्वत की पूजा करने के लिये कहा। जिसके बाद ब्रजवासियों ने इन्द्रदेव की पूजा को छोड़कर गोवर्धन पर्वत की पूजा करना प्रारम्भ कर दिया। जिससे इन्द्रदेव क्रोधित हो उठे और वर्षा की गति को और अधिक तीव्र कर दिया जिसकी वजह से गाँव में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई। तब श्री कृष्ण ने अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठा लिया और संम्पूर्ण गोकुल गाँव निवासी और गायों को सुरक्षा प्रदान की। जिसके बाद से प्रत्येक वर्ष कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की तिथि को हिंदू धर्म में धूमधाम से गोवर्धन पूजन का त्योहार मनाया जाता है।


गोवर्धन पूजा के अवसर पर श्री कृष्ण को लगाये गये 56 भोगः
दिनांक 22 अक्टूबर दिन बुधवार को शहर कानपुर में लोगों द्वारा अपने-अपने घरों में गोवर्धन पूजा की गई। वहीं दूसरी ओर शहर के पुराने प्रसिदॄ जे.के. मंदिर हो या कमला टावर स्थित द्वारकाधीश मंदिर शहर में श्री कृष्ण के मंदिरों की साज सज्जा देखने लायक थी। दिवाली की जगमगाती रंगबिरंगी झालरों की रोशनी के साथ श्री कृष्ण का सुगंन्धित बेला और गेंदा के फूलों से किया गया श्रंगार एंव सुनहरे वस्त्र और गहनों से सुशोभित उनकी प्रतिमा की सुन्दरता मंदिर आये भक्तगणों को अपनी ओर आकर्षित कर रही थी। गोवर्धन पूजा के इस पावन अवसर पर श्री कृष्ण की विधान से पूजन के बाद उनको 56 प्रकार के भोजन परोसे गये।
7 दिनों तक उठाये रखा, श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वतः
गोवर्धन पूजा के दिन श्री कृष्ण को छपन्न भोग लगाये जाने का कारण यह भी माना जाता है कि जब श्री कृष्ण ने इन्द्रदेव के अहंकार को तोड़ने के लिये 7 दिनों तक गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठाये रखा उस दौरान उन्होंने भोजन जल ग्रहण नहीं किया था। जब आठंवे दिन इन्द्र द्वारा वर्षा बन्द कर दी गई तब ब्रजवासियों ने श्री कृष्ण के लिये 56 प्रकार के भोजन को परोसा था।
ये भी पढ़ें-Dry Fruits: बादाम रखता है, ह्रदय स्वस्थ और शुगर को कंट्रोलः

