Sunday, October 26, 2025

Chhath puja 2025: छठ पूजा 2025 कब है? जानें लोकआस्था के इस पर्व का महत्व और परंपरा

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Chhath puja 2025: छठ एक ऐसा महापर्व है जो बिहार के साथ बाकी कई अन्य राज्यों में भी बड़े धूम धाम से मनाया जाता है। यह सिर्फ महापर्व ही नहीं बल्कि एक पारंपरिक, सांस्कृतिक त्यौहार है जो लोगों को एक दूसरे से प्यार और जमीन से जुड़े रहने में मदद करता है। जो सदियों से चलती आ रही छठ पूजा के पीछे बहुत सी धार्मिक कथाएं है जिस के कारण इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। आइए जानते उन कथाओं और पूजा के बारे में

राजा प्रियवद की कहानी

प्राचीन समय में एक प्रियवद नाम का राजा था जिसे संतान सुख नहीं था। एक बार राजा की पत्नी मालिनी को महर्षि कश्यप ने खीर खिलाई थी उससे दंपति को एक पुत्र प्राप्त हुआ लेकिन वह मृतक पुत्र था। यह सब देखकर राजा को बहुत गुस्सा आया और वे अपने प्राण त्यागने जा रहे थे उसी वक्त ब्रह्मा पुत्री देवसेना प्रकट हुई और कहा की ” मै षष्ठी के छठे अंश से हुई हुं और मैं षष्ठी देवी कहलाती हूं। तुम मेरी पूजा आराधना करो और लोगो को भी मेरी पूजा करने के लिए प्रेरित करो। ऐसा करने से तुम्हे संतान प्राप्ति हो जाएगी।” उस के बाद राजा ने उनकी पूजा की और उन्हें पुत्र प्राप्ति हो गई। इसलिए छठ पूजा संतान, लंबी आयु और घर की सुख समृद्धि के लिए की जाती है।

कर्ण की आराधना

ऐसी ही एक और छठ पूजा की कहानी महाभारत काल से जुड़ी है जिसमें सूर्यपुत्र कर्ण सूर्यदेव की कृपा से महान योद्धा बनने के लिए कमर तक पानी में खड़े होकर सूर्यदेव की आराधना करते है। इसलिए आज भी छठ के तीसरे और चौथे दिन डूबते और उगते सूरज को अर्घ्य दिया जाता है।

छठ कब मनाई जाएगी

छठ 4 दिन का पवन पर्व है जो दिवाली के बाद मनाया जाता है। 2025 की छठ 25 अक्टूबर से 28 अक्टूबर तक मनाई जाएगी।

पहला दिन 25 अक्टूबर (नहाए खाएं)
यह छठ पूजा के पहला दिन होता है जिसमें सभी परिवार के लोगों घाट या तलब के पास जा कर नहाते है और घर की सफाई करते है। इस दिन साधारण भोजन का सेवन किया जाता है जैसे की लौकी भात, डाल चावल।

दूसरा दिन 26 अक्टूबर (खरना)
नहाए खाएं के अगले दिन खरना पूजा की जाती है जिसमें छठी मैया की पूजा आराधन की जाती है और चावल की खीर का प्रसाद चढ़ाया जाता है। उस कबाड़ छत व्रत की शुरुआत हो जाती है।

तीसरा दिन 27 अक्टूबर( डूबते सूर्य को अर्घ्य)
तीसरे दिन परिवार की सभी महिलाएं शाम को समय पूजा की सामग्री लेकर नदी के तट पर जाकर डूबते सूर्य को अर्घ्य देती है। पूजा में ठेकुआ, पूरी,चावल के आता का लड्डू फल, गन्ना इत्यादि चीजें चाहिए जाती है।

चौथा दिन (उगते सूर्यकों अर्घ्य)
छठ के आखिरी दिन महिलाएं उगते सूर्य को अर्घ्य देकर अपना व्रत खोलती है। इस के बाद घर में हवन करवाया जाता है जिसमें घर में सुख समृद्धि के लिए प्राथना की जाती है।

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