Bihar: के पश्चिमी चंपारण जिले के बगहा में स्थित मदनपुर देवी मंदिर एक बहुत ही प्रसिद्ध मंदिर है। यह मंदिर वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के घने जंगलों के बीच बसा है।
क्या है मंदिर की खास बात
यह मंदिर नवरात्रि के समय सबसे ज्यादा प्रसिद्ध होता है। इस दौरान यहां लाखों श्रद्धालु माता के दर्शन और पूजा-अर्चना करने आते हैं।
मंदिर का इतिहास
कहा जाता है कि यह जगह पहले घने जंगलों से भरा हुआ था और राजा मदन सिंह के राज्य में आता था।
एक बार राजा शिकार पर गए।
वहां उन्होंने देखा कि रहसू गुरू साधु जंगल में बाघों के गले में सांप बांधकर पूजा कर रहे थे। साधु के इस कार्य से वहां कनकजीर (सुगंधित धान) निकल रहा था।
राजा ने साधु से देवी को बुलाने का आदेश दिया। साधु ने चेताया कि ऐसा करना खतरनाक हो सकता है। लेकिन राजा अपनी जिद पर अड़े रहे।
कहा जाता है कि देवी मां असम के कामख्या से आईं, और थावें होते हुए इस स्थान पर पिंडी के रूप में स्थापित हुईं। इस दौरान राजा और उनके साम्राज्य का विनाश भी हुआ।
मंदिर की स्थापना और भक्ति
मंदिर लंबे समय तक जंगलों में छिपा रहा। फिर हरिचरण नामक व्यक्ति ने देखा कि एक गाय पिंडी पर दूध गिरा रही थी। उन्होंने पिंडी की सफाई करके पूजा शुरू की। देवी मां प्रसन्न हुईं और हरिचरण के लिए एक बाघ रखवाली के लिए भेजा। धीरे-धीरे यह स्थान प्रसिद्ध हो गया। गंडक नदी पर पुल बनने के बाद यूपी के भी श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए आने लगे।
धार्मिक महत्व और मेले
मदनपुर देवी मंदिर न केवल दर्शन स्थल है, बल्कि धार्मिक आयोजनों का केंद्र भी है।
लोग यहां शादी, मुंडन और अन्य धार्मिक कार्य करवाते हैं।
मंदिर में भक्ति के रूप में बकरी और मुर्गा की बलि भी दी जाती है।
नवरात्रि का मेला
नवरात्रि के समय मंदिर में एक विशाल मेला लगता है।
मंदिर को खास तरह से सजाया जाता है।
लाखों श्रद्धालु माता की पूजा और दर्शन के लिए आते हैं।
लोग अपनी मनोकामना पूरी होने की कामना करते हैं।
सारांश
मदनपुर देवी मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं है, बल्कि यह इतिहास, रहस्य और भक्ति का अद्भुत संगम है। घने जंगलों में बसा यह मंदिर अपनी अनोखी कहानी और नवरात्रि मेले के लिए खास है।
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