Chhath Puja 2025: कुशीनगर। बिहार से शुरू हुआ छठ महापर्व अब पूरी दुनिया में भारतीय आस्था और संस्कृति का प्रतीक बन चुका है। इसी अनोखी परंपरा को करीब से देखने दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में पढ़ने वाली दो जापानी छात्राएं — हारुका और टिंज़ — इस बार कुशीनगर जिले के खड्डा नगर पंचायत पहुंची थीं।
दोनों छात्राएं जेएनयू में हिंदी की छात्रा श्वेता की सहपाठी हैं। श्वेता मूल रूप से खड्डा की रहने वाली हैं, जिन्होंने अपनी विदेशी सहेलियों को छठ पूजा का अनुभव लेने के लिए बुलाया था।
खड्डा के जटाशंकर पोखरे पर हर साल की तरह इस बार भी छठ पूजा का आयोजन बेहद भव्य तरीके से किया जा रहा था। पिछले वर्ष इस आयोजन की सराहना प्रदेश सरकार के मंत्री अरविंद शर्मा ने भी की थी।
लेकिन इस बार कुछ अप्रत्याशित हो गया — जेएनयू प्रशासन ने अचानक दोनों छात्राओं को दिल्ली वापस बुला लिया। इस वजह से वे पूजा के सबसे खास पल — संध्या अर्घ्य और उगते सूर्य को अर्घ्य देने की रस्म — नहीं देख पाईं।
भारतीय संस्कृति और परंपरा
विदा होते समय दोनों छात्राओं ने कहा कि उन्हें भारतीय संस्कृति और परंपराओं से बहुत लगाव है। उन्होंने बताया — “छठ पूजा जैसी अनुशासन, स्वच्छता और सामूहिक श्रद्धा वाली परंपरा दुनिया में कहीं और नहीं है। यह सिर्फ धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि समाज को जोड़ने और प्रकृति के प्रति सम्मान जताने का प्रतीक है।”
दिलचस्प बात यह है कि दोनों छात्राएं हिंदी भाषा में सहजता से बात करती हैं। स्थानीय लोगों से मिलकर वे भारतीय संस्कृति के रंग में पूरी तरह घुल-मिल गई थीं।
खास बात यह भी है कि इससे पहले भी जापान से एक छात्रा टोक्यो से खड्डा आई थी, जिसने छठ पूजा देखकर अपनी खुशी सोशल मीडिया पर साझा की थी।
छठ की बढ़ती लोकप्रियता इस बात का प्रमाण है कि भारतीय संस्कृति की गूंज अब सीमाओं से परे जा चुकी है — जहां सूर्य उपासना का यह पर्व पूरी दुनिया में एकता और सद्भावना का संदेश दे रहा है।
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