Saturday, September 6, 2025

Shani: जानें किस ग्रह से हिन्दु ही नहीं, बल्कि मुस्लिम भी डरते है…

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Shani: हिन्दु धर्म में सभी देवी देवता और सभी ग्रहों को पूजनीय मानते है। सभी का अपना अलग महत्व और स्थान है। वहीं मुस्लिम दुनिया में भी इसे ‘जुहल’ कहा जाता है। मुस्लिम दुनिया में शनि को एक ऐसा ग्रह माना जाता है जो गंभीरता, विलंब, और कठिन इम्तिहान का प्रतीक है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि क्यों मुस्लिम समाज और तंत्र-मंत्र की दुनिया में शनि ग्रह को लेकर इतना डर कायम है।

मिली जानकारी के मुताबिक इस्लामिक सभ्यता के स्वर्ण युग में खगोलशास्त्र को विज्ञान की सबसे ऊंची शाखा माना जाता था। वहीं अल-बत्तानी अल-सूफ़ी, एवं अल-ख्वारिज़्मी जैसे वैज्ञानिकों ने ग्रहों की गति को गहराई से समझा।

वैज्ञानिक के मुताबिक-

1 शनि सब से धीमा चलने वाला ग्रह है।

2- शनि ग्रह की अगर किसी पर लग जाए तो व्यक्ति के भाग्य में ठहराव और चुनौती का प्रतीक मानी जाती थी।

3- इस ग्रह को सब्र और इम्तेहान की निशानी है।

क्यों डरते है इनसे

सूफी परंपरा में जुहल (यानी शनि) को खामोश मगर असरदार ग्रह माना गया है। सूफी कवि रूमी ने जुहल को उस मौन शिक्षक की उपाधि दी जो सबक तो देता है लेकिन बेहद दर्द के साथ।

सूफियों के अनुासर जब जुहल (यानी शनी) किसी की जिंदगी में आता है, तो वह व्यक्ति अंदर से बदलने लगता है वह अकेलेपन, रहस्यवाद की ओर झुकता है।

तांत्रिकों के लिए शनि एक डरावना लेकिन उपयोगी ग्रह रहा है। वे मानते हैं कि जुहल की चाल से ‘ब्लैक मैजिक’ और प्रोटेक्शन मंत्र ज्यादा असरकारी होते हैं। बता दें कि कई मुस्लिम तांत्रिक जुहल के वक्त काले धागे, सुरमा और लोहे के टोटके यूज करते हैं।

क्या है कुरान का उल्लेख?

कहीं भी सीधे तौर पर जुहल शब्द नहीं आता, लेकिन खगोलीय पिंड़ों और ग्रहों का ज़िक्र कई आयतों में है। जिनसे ये साबित होता है कि इस्लामी विचारधारा में ग्रहों का अध्ययन सिर्फ ज्योतिष नहीं, साथ ही वैज्ञानिक जिज्ञासा का हिस्सा था।

टोकटे दुआएं और सुराख़ भारत के मुस्लिम घरों में शिनवार को करने की परंपराएं मौजूद हैं, पाकिस्तान की तरफ कई लोग शनिवार के दिन काले चने खाने को खाना अच्छा मानाते है और जुहल की नेमत के लिए सुरह यासीन या सूरह रहमान पढ़ते है।

सबक का प्रतीक मानते है जुहल को

चाहे वह भारतीय ज्योतिष हो या इस्लामी सूफी परंपरा शनि या जुहल दोनों ही एक गहरे बदलाव का संकेत हैं। इनका डर अज्ञान नहीं, बल्कि उनकी तीव्र आध्यात्मिक शक्तिह का स्वीकार है।

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