Sunday, October 26, 2025

CM YOGI: इतिहास में पहली बार गाय के गोबर के दीप से दीपोत्सवः

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CM YOGI: October 2025:दिवाली में दीप जलाने के प्रचलन प्रभु श्रीराम के काल से चला आ रहा है। हिंदू धर्म की परम्परा के अनुसार शुद्धता को महत्व देते हुये लोग दिवाली के अवसर पर मिट्टी के दिये का ज्यादा उपयोग में लाते है। लेकिन 2025 की दिवाली में इतिहास में पहली बार गोबर के दिये से दीपोत्सव मनाया जायेगा। यह बात उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ जी के द्वारा कही गयी। इन्होंने कहा कि नये रिकार्ड के साथ दीपोत्सव मनाया जाये हर घर में दीप जलना चाहिये इस दिवाली मिट्टी के साथ गाय के गोबर के भी दीप जलाये जायेगें।

दीपों से सजी दुकानें, खरीददारों की लगी भीड़ः

दिवाली के पावन त्योहार में जगह-जगह दीपों से सजी दुकानें खरीददारों को अपनी ओर आकर्षित कर रही है। यदि दीपों की क्वालिटी की बात की जाये तो डिजाइनर धातुओं के दिये, काँच के दिये, लालटेन और डिजाइनर मोमबत्ती मिट्टी के दिये लोग अपनी च्वाइस बना रहे है।

गाय का गोबर है, जीवाणुरोधकः

गाय के गोबर में 33 करोड़ देवी देवताओं एंव धन की देवी माता लक्ष्मी का वास होता है साथ ही इसमें कीटनाशक गुणों के कारण मच्छरों को भगाने में भी बेहद मददगार होता है। इसकी गुणवत्ता को देखते हुये इस  दिवाली वातावरण में शुद्धता और सकरात्मक ऊर्जा आवाह्न करते गाय के गोबर से तैयार किये गये आकर्षक दीप लोगों की पसंद बनेगें।

आसानी से साफ हो जाने और मजबूती के साथ लम्बे समय तक चलाने के लिये पीतल के सजावटी डिजाइनर दिये अच्छा विकल्प हो सकते है। लेकिन इनकी कीमत को देखते हुये प्रत्येक व्यक्ति इनकों खरीदने में समर्थ नही है। काँच के दिये उष्मारोधी होने के साथ सजावट और ज्यादा रोशनी के उद्देश्य से अच्छे माने जाते है। इसी तरह से रंगबिरंगी लालटेन और डिजाइनर मोमबत्ती को सजावट की दृष्टि से लोग अधिक संख्या में पसंद कर रहे है। मिट्टी और गोबर से बने साधारण और डिजाइनर दीप लोगों की खास पसंद बने हुये है। यह दीप मार्केट में तरह- तरह की डिजाइनों के साथ उपभोक्ता के बजट के अनुसार कीमत में आसानी से उपलब्ध है।            

सुख समृदिॄ के लिये मुख्य द्वार पर जलाये दिवाली में दीप:

दिवाली के पर्व पर हिंदू धर्म की परम्परा के अनुसार अमावस्या की रात को रोशन करने के लिये 11, 13, 21, 51, 108 विषम संख्या में दीपों को जलाने का प्रचलन है। जिसमें सुख समृदिॄ के आगमन हेतु मुख्य द्वार का दीप, पूजा स्थल में भगवान की कृपा पाने के लिये, अच्छे स्वास्थ्य के लिये तुलसी में, एंव रसोई घर में अन्न और समृदिॄ के लिये दिवाली पर दीप जलाने से पूजन का फल प्राप्त होता है। जबकि वर्ष भर घर को रोशन रखने हेतु घर की छतो को दीप जलाकर रोशन किया जाता है। दिवाली के दिन सुर्यास्त के बाद का समय दीप जलाने के लिये सबसे उपर्युक्त समय माना जाता है।

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Preeti Rathore
Preeti Rathore
मैंने सी.एस.जे.एम. वि.वि. से MJMC, LLb, B.Ed, M.Sc (Zoology), M.A (Hindi, Economics, Political Science), "O" Level, CCC Computer Course एंव राजर्षि टण्डन वि.वि.से PGDMM की डिग्री प्राप्त की है। इसके अतिरिक्त हिन्दुस्तान प्रेस, K.TV, में ट्रेनी पत्रकार एंव डिग्री कॉलेज और एनजीओ मे पत्रकारिता शिक्षक के रुप में कार्य किया है।

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