Sunday, October 26, 2025

Karwa Chauth 2025: 9 या 10 अक्टूबर कब है करवा चौथ जानें तिथि, मुहूर्त और पूजा विधि

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Karwa Chauth 2025: हिंदू धर्म में हर तिथि और हर व्रत का अलग ही महत्व होता हैं। उसी तरह करवा चौथ का व्रत भी हर सुहागिन के लिए बड़ा महत्व रखता हैं। इसमें निर्जला व्रत कर महिलाएं करवा माता की पूजा कर अपने पति के लंबी उम्र और सौभाग्य की कामना करती हैं। ये त्योहार हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चन्द्रोदय व्यापिनी चतुर्थी को मनाया जाता है। ऐसे में सभी को कंफ्यूजन है कि करवा चौथ की सही तिथि 9 या 10 अक्टूबर कौन सी हैं। तो चलिए जानते हैं कि करवा चौथ की तिथि, मुहूर्त और पूजा विधि…

करवा चौथ तिथि

इस बार करवा चौथ कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 9 अक्टूबर की रात 10 बजकर 55 मिनट से शुरू होकर 10 अक्टूबर को शाम 07 बजकर 38 मिनट तक रहेगी। ऐसे में हिंदू धर्म के अनुसार व्रत और त्योहार का शुभ समय उदयातिथि को माना जाता हैं। जिससें इस साल 10 अक्टूबर शुक्रवार को करवा चौथ का व्रत रखा जाएगा।

शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार करवा चौथ पूजा मुहूर्त शाम 5 बजकर 58 मिनट से 7 बजकर 11 मिनट तक रहेगा। जिससे इस बीच पूजा करना बेहद शुभ माना गया हैं। व्रत सुबह 6 बजे से शुरू होगा और वही इसका समापन चंद्र दर्शन के बाद होगा और इस बार चद्रंमा दर्शन कृष्णा दशमी को रात 8 बजकर 36 मिनट होगा।

पूजा विधि

पूजा सामग्री

  1. मिट्टी या तांबे का करवा और ढक्कन
  2. दीपक
  3. छलनी
  4. रोली, कुमकुम और सिंदूर
  5. चावल के दाने
  6. हल्दी
  7. धूपबत्ती और चंदन
  8. फूल
  9. कच्चा दूध, घी, और दही
  10. भोग लगाने के लिए लड्डू, बर्फी, हलवा या अठावरी पूरी
  11. कलावा (मौली)
  12. व्रत कथा की किताब
  13. करवा चौथ माता की तस्वीर
  14. शकरकंद, नारियल 

ऐसे करें पूजा

  1. सुबह ब्रह्ममुहूर्त उठकर स्नान करके सरगी ग्रहण करें और फिर निर्जला व्रत का संकल्प लें।
  2. मंदिर जाकर भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी की विधि-विधान से पूजा करें। उन्हें फूल, फल, मिठाई और मेवे अर्पित जरूर करें।
  3. करवा चौथ व्रत कथा का पाठ करें या किसी से सुनें। यह कथा पति की लंबी उम्र और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए की जाती है।
  4. शाम के समय फिर से पूजा की तैयारी करें और एक पूजा थाली में फूल, फल, मिठाई, धूप-दीप, रोली और चावल रखें।
  5. मिट्टी या तांबे का करवा लें, उसमें चावल और दक्षिणा रखे। करवे में अनाज भरकर माता को भोग लगाएं और चंद्रमा को भी अर्पित करें।
  6. चंद्रमा निकलने पर उसे जल में फूल डालकर अर्पित करें इसके बाद छलनी में जलता हुआ दीपक रखकर पहले चांद देखें, फिर उसी छलनी से अपने पति का मुख देखें। इसके बाद पति के हाथों से पानी पीकर अपना व्रत खोलें और मिठाई खाएं।

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