Stambheshwar Mahadev Temple: स्तम्भेश्वर महादेव मंदिर गुजरात के भरूच जिले के गांव में हैं जो शिव के अनोखे मंदिरों में से एक है, यह मंदिर दिन में दो बार समुद्र की गोद में समा जाता हैं। और फिर वापस आ जाता है। यह मंदिर भारत के अरब सागर और खंभात की खाड़ी के तट पर स्थित हैं। भक्तों का मानना हैं कि समुद्र दो बार शिवलिंग का अभिषेक करने खुद आती हैं। आईए देखते हैं इसका रहस्य…
मंदिर का पानी में समा जाना

प्राचीन कथा के अनुसार, तारकासुर भगवान शिव का भक्त था। जिसका वध भगवान कार्तिकेय ने किया था और उसके बाद उन्हें मानसिक पाप लगा था। इसलिए पाप से मुक्ति पाने के लिए शिवजी के कहे अनुसार उन्हें शिवलिंग स्थापित करना था। यें उन्हीं के द्वारा स्थापित शिवलिंगों में से एक है। समुद्र द्वारा मंदिर के डूबने और प्रकट होने को समुद्र देवता द्वारा भगवान शिव का अभिषेक माना जाता है। इस मंदिर को दो बार सुबह और शाम को पानी में डूब देखा जा सकता है। इस एक वैज्ञानिक करन भी हैं। वैज्ञानिकों के द्वारा यह एक प्राकृतिक घटना है जो ज्वार-भाटा के कारण होती है, जब पानी का स्तर बढ़ने पर मंदिर और शिवलिंग पानी में डूब जाते हैं और कम होने पर फिर से दिखाई देने लगते हैं।
कब जाए स्तम्भेश्वर महादेव मंदिर
इस मंदिर में दर्शना करने का कोई टाईम नही है यहा ज्वार-भाटे की स्थिति पर निर्भर करता हैं। क्योंकि मंदिर ज्वार आने पर वहा पूरी तरह डूब जाता है। इसलिए आगर आप इस मंदिर में जाने का सोच रहे हैं तो ज्वार-भाटे की स्थिति का पाता करके ही जाना सही हैं। मंदिर में दर्शन के लिए दोपहर 2:00 बजे से 3:00 बजे के बीच का समय सबसे अच्छा हैं, क्योंकि इस दौरान ज्वार कम होता है और मंदिर को आराम से देखा जा सकता है और अगर मौसम की बात की जाए तो अक्टूबर से मार्च तक का महीना अच्छा होता है।
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