Ananta Chaturdashi: लक्ष्मी जी के साथ क्षीरसागर में निवास शेषनाग पर शयन गरुण वाहन पर सवार हाथों में शंख, गदा, कमल और चक्र धारण किये जगत के पालनहार भगवान विष्णु जो संपूर्ण ब्रह्मांड की व्यवस्था बनाये रखने एंव संकट के समय धर्म की रक्षा के साथ पुर्नस्थापना के लिये विभिन्न अवतारों में पृथ्वी पर जन्म लेते रहते है इनके प्रमुख अवतारों को दशावतार के भी नाम से जाना जाता है। भगवान विष्णु के दो रुप है प्रथम रुप पुरुष और दूसरा काल रुप है ये दोनों रुप सृष्टि– प्रलय एंव प्रकृति-पुरुष को प्रदर्शित करते है काल रुप में भगवान आदि अन्नत है जिसकी वजह से संसार में उत्पत्ति प्रलय कभी समाप्त नहीं होते है।


विष्णु जी का पहला अवतार अन्नत है, जबकि पुरुषोत्तम प्रकृति-आत्मा से परे सर्वोच्च पुरुष का अवतार है, संपूर्ण इन्द्रियों को अपने नियंत्रण में स्थापित करने वाले विष्णु भगवान को ऋषिकेश रुप में जाना जाता है, कमल के गुणों से शोभित करने वाले पद्म (कमल) कहलाते है। माधव अवतार लक्ष्मी जी के पति होने को दर्शाता है। लक्ष्मी जी को खोजने के लिये विष्णु जी ने वेंकट, अवतार धारण किया जिस गोविन्दा और बाला जी के नाम से भी पहचाने जाते है देवी लक्ष्मी का प्रतिनिधित्व करने के कारण इनकों श्रीधर रुप में पूजा जाता है। विष्णु जी को ही नारायण और मधुसूदन, दामोदर और केशव अवतार को भगवान कृष्ण की उपाधि दी गयी है।
अन्नत चतुर्दशी के पावन पर्व पर जे.के. मंदिर में अन्नदानः
प्रत्येक वर्ष भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर अन्नत चतुर्दशी को भगवान विष्णु के अन्नत स्वरुप को पूजा जाता है इसी दिन गणेश चतुर्थी के अवसर पर दस दिनों तक चलने वाले त्योहार का समापन और गणेश जी की प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है। मान्यता है कि जब पाण्डव धृत क्रीड़ा में अपना सारा राज-पाट हार कर वन में कष्ट भोग रहे थे, तब भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें अन्नत चतुर्दशी का व्रत रहने के लिये कहा था इस लिये युगों से यह त्योहार प्रचलन में है। हिंदू धर्म में मंदिरों एंव घरों में विधि विधान से पूजन करने के साथ भण्डांरा एंव बाह में चौदह गाठों वाला सूत्र बाधंने की परम्परा भी सदियों से चली आ रही है माना जाता है ऐसा करने से जीवन सुख समृदिॄ से परिपूर्ण होता है।
गंगा किनारे बसे शहर कानपुर में जगह–जगह मंदिरों में 6 सितम्बर दिन शनिवार को अन्नत चतुर्दशी पर्व का आयोजन किया गया। जहाँ पर मंदिरों में श्रृंगार के साथ भण्डांरे की भी व्यवस्था की गयी थी शहर का प्रसिदॄ कमला नगर में स्थापित जे.के. मंदिर में भी सुबह 12 बजे से देर शॉम तक भण्डांरे के प्रसाद वितरण का कार्यक्रम जारी रहा जिसमें दूर-दराज से आये भक्तगणों ने श्री राधा कृष्ण एवं उनके समीपस्थ समस्त देवी देवताओं के दर्शनोंपरान्त अन्नत चतुर्दशी के पावन अवसर पर प्रसाद ग्रहण किया।
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