Kanpur: जे.के. मंदिर में श्री कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर 15 अगस्त से आयोजित हो रहे कार्यक्रमों का समापन 21 अगस्त को बड़े धूमधाम से किया गया। पूतना वध के बाद श्री कृष्ण ने अनिरुद्ध को मुक्त कराने के लिये बाणासुर से युद्ध किया और उसकी गर्दन अपने सुदर्शन चक्र से काटने के उपरान्त आघासुर का उद्धार किया। महारास में श्रीकृष्ण के सुन्दर गीतों और नृत्यों पर छात्राओं की प्रस्तुति से भक्तगण झूम उठे। 19 अगस्त को गोवर्धन पर्वत को अपनी एक उंगली पर उठाने वाले श्री कृष्ण के द्श्य ने यह संदेश दिया कि विपरीत परस्थिति में भी कृष्ण अपने भक्तों का साथ नहीं छोड़ते, 20 अगस्त के कार्यक्रम कंश वध के बाद श्री कृष्ण के राज्यभिषेक की सुन्दर प्रस्तुति ने बताया कि हर युग में अधर्म का नाश जनमानस के लिये जरुरी है तभी जीवन सार्थक होता है।

सिंघानिया एजुकेशन सेंटर की रही शानदार प्रस्तुतिः
21अगस्त के कार्यक्रम में द्रौपदी चीरहरण का मंचन स्त्री सम्मान की रक्षा के लिये लोगों को आगे आने के लिये प्रेरित किया। कृष्ण के विराट रुप के दर्शन की प्रस्तुति और गीता उपदेश का आयोजन भी भक्तिमय था। सर पद्मपत सिंघानिया एजुकेशन सेंटर की छात्राओं द्वारा प्रस्तुत कृष्णा-कृष्णा एंव नरायण हरिओम के भजनों ने कृष्ण भक्तों के ह्रदय को भक्तिभाव से भर दिया।

गुरुकुल के छात्रों ने किया वेदोंच्चारण
जे.के. गुरुकुल में वेद की शिक्षा ग्रहण करने वाले छात्रों ने वेदोंच्चारण से मंदिर प्रागंण के वातावरण को संस्कार और संस्कृति से परिपूर्ण किया। ढलती शॉम के साथ चारों तरफ रंग बिरंगी रौशनी से घिरा जे.के. मंदिर श्री कृष्ण छठी के अवसर पर 16 कलाओं में परिपूर्ण दृश्याकिंत हो रहा था जिसमें 64 कलाओं से पूर्ण श्री कृष्ण स्थापित है।

कृष्ण पर आधारित नृत्यों और गीतों से गूंज उठा जे.के.मंदिर प्रागंण
मंदिर प्रांगण में श्री कृष्ण पर आधारित नृत्यों और गीतों की गूंज से उत्पन्न सम्मोहित कर देने कर देने वाला कृष्णमय वातावरण भक्तगणों को मंत्रमुग्ध कर रहा था। भक्तगणों की नजरें पूरे मंदिर प्रागंण को निहारती रही सभी इस सोच में थे कहीं जे.के. जन्माष्टमी 2025 का कोई भी द्श्य उनकी आंखों से ओझल न हो जाये। कार्यक्रम के अन्तिम दिन भक्तगण मंदिर प्रागंण में लगे फूड स्टॉल पर स्वादिष्ट व्यंजनों का लुफ्त उठाते दिख रहे थे तो वहीं दूसरी ओर घड़ी, चश्में, पर्स, ज्वैलरी शॉप एवं घरेलू उपकरणों की खरीददारी करने के लिये भीड़ उमड़ रही थी। मंदिर प्रागंण की कन्हा कोठी में कन्हैया की सुन्दर मनमोहक आभूषणों और वस्त्रों से सजी धजी प्रतिमायें देखकर भक्तगण उन्हें अपने-अपने घरों में स्थापित करने के लिये उत्साहित होते दिखाई दिये।
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