Sawan Putrada Ekadashi: हर माह शुक्ल और कृष्ण पक्ष में एकादशी का व्रत रखा जाता है। पूरे वर्ष में कुल 24 एकादशी तिथि पड़ती है, जिनके अलग-अलग नाम और महत्व होते हैं। लेकिन पुत्रदा एकादशी का व्रत साल में दो बार रखा जाता है।
सावन महिने के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा एकादशी के नाम से जाना जाता हैं। ऐसा माना जाता है जिसे पुत्र प्राप्ति की अभिलाषा हो उसे पुत्रदा एकादशी का व्रत जरूर रखना चाहिए, इससे पुत्र प्राप्ति होती है। संतान की लंबी उम्र के लिए भी माताएं पुत्रदा एकादशी का व्रत रखती है। सावन के महिने में इस एकादशी का व्रत करने से भगवान हरि और देव के देव महादेव की कृपा प्राप्त होती है।
जानें कब है पुत्रदा एकादशी
सावन के महिने में शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को सावन पुत्रदा एकादशी का व्रत रखा जाता है, इस साल 5 अगस्त को पुत्रदा एकादशी मानायी जाएगी, जिसका शुभ मुहुर्त 4 अगस्त से सुबह 11.41 से शुरू होगी, 5 अगस्त दोपहर 01.12 पर समाप्त हो जाएगी। व्रत का पारण का समय 6 अगस्त की सुबह 5 बजे से 8 बजे तक का समय रहेगा।
सावन पुत्रदा एकादशी
सुबह उठकर सन्नान करें और साफ पीले या लाल रंग के वस्त्र पहन लें, और इसके बाद सबसे पहले सूर्य को जल अर्पित करें। और लक्ष्मी नारायण की तस्वीर या प्रतिमा स्थापित करें, पूजा-अर्चना करें, दीपक जलाएं, मां लक्ष्मी को श्रृंगार का सामान चढ़ाएं। घी का दीपक जलाकर पंचामृत, फल और मिठाई का भोग लगाएं। उसके बाद कथा पढ़ें और आरती करें।
ये भी पढ़ें- Horoscope: कैसा होगा 3 से 9 अगस्त तक का राशिफल, कौन बनेगा बादशाह