corona vaccine: काफी समय से हार्ट अटैक की समस्या देखने को मिल रही है। युवाओं में लगातार तेजी से हार्ट अटैक के केस देखने को मिल रहे है। इसको अकसर वैक्सीन से जोड़कर देखा गया। इसे लेकर समय-समय पर सवाल भी सामने आ रहे है। फिलहाल इन आशंकाओं को आईसीएमआर और एम्स की स्टडी ने दूर कर दिया है।
बता दें कि देश में बढ़ती आर्ट अटैक से अचानक मौतौं की वजह कोरोना वैक्सीन नहीं है। वहीं देश में 40 साल से कम उम्र के लोगों में हार्ट अटैक के मामले बढ़ है। और खासकर कोरोना महामारी के बाद इनमें खासा इजाफा हुआ है। वहीं केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी इस बात की पुष्टि की है कि कोरोना वैैक्सीन और युवाओं में दिल दौरा पड़ने में कोई भी संबंध नहीं है।
आखिर क्यों उठ रहे कोरोना वैक्सीन पर सवाल
पूरे विश्व में कोरोना संक्रमण तेजी से फैला। जिसके बाद भारत देश में कोरोना से बचने के लिए वैक्सीन का निर्माण किया गया और इसे पूरे विश्व में भेजा गया। पूरे देश की जनता ने वैक्सीन लगवाई। इसके बाद देश में युवाओं में हार्ट अटैक से मौत की संख्या बढ़ी जिसे कोरोना वैक्सीन के असर से जोड़कर देखा जाने लगा। वहीं कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया ने अपने एक बयान कहा कि कर्नाटक के एक युवा की हार्ट अटैक से मौत हुई है इसका कारण कोरोना वैक्सीन है। लेकिन केंद्र सरकार ने उनके इस दावे को खारिज कर दिया है।
ऐसे दूर हुई आशंकाएं
मिली जानकारी के मुताबिक देश में लगभग 18 से 45 साल के बीच को लोगों की अचानाक मौत की वजह जानने के लिए आईएमआर और एनसीडीसी मिलकर काम कर रहे हैं। बढ़ती आशंकाओं को दूर करने के लिए अब तक दो स्टडीज की गई है। इसे आईसीएमआर के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी ने अंजाम दिया। इस स्टडी में अचानक होने वाली मौतों की वजह को जानने का प्रयास किया गया। मई से अगस्त 2023 तक 19 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 47 क्षेत्रीय हस्पतालों में ये स्टडी के दौरान ये पाया गया कि जो स्वस्थ दिख रहे थे लेकिन 2021 और मार्च 2023 के बीच अचानक उनकी मौत हो गई। इस स्टडी में पाया गया कि कोविड वैक्सीनेशन युवाओं में अचानक होने वाली मौतों का रिक्स नहीं बढ़ाता है।
दूसरी स्टडी में क्या जानकारी आई सामने
दूसरी स्टडी वर्तमान की जांच पर आधारित रह जिसमे पाया गया कि हार्ट अटैक या मायोकार्डियल इंफार्क्शन 18 से 45 उम्र मे अचानक मौत का मुख्य कारण बना है। स्टडी के अनुसार पिछले वर्षों की तुलना में इन कारणों के पैटर्न में कोई बड़ा बदलाव नहीं देखा गया। साथ ही स्टडी में ये भी पाया गया कि जेनेटिक म्यूटेशन के चलते दिल का दौरा पडने जैसी घटनाएं बढ़ी है।
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