15 August: भारत की आजादी में रीढ़, बनी चौथी सत्ताः-हमारे देश की धरती ने समय-समय पर ऐसे सूरवीरों ने जन्म लिया। जिन्होंने देश की आजादी के लिये अपने प्राण न्योछावर कर दिये। सांसद, कार्यपालिका, न्यायपालिका और मीडिया के चार स्तम्भों पर टिका भारत देश हमारा आजाद देश है।
आजादी की 79 वीं वर्षगांठ मना रहा देश
आज हमारा देश आजाद भारत के नाम से पहचाना जा रहा है इसमें देश के लिये शहीद होने वाले असंख्य सूरवीरों की कुर्बानी लगी है तब कहीं हम सभी देशवासियों को आज आजादी की 79 वीं वर्षगांठ मनाने का अवसर प्राप्त हो रहा है। हमारे देश की बुनियाद को चार स्तम्भों ने साध रखा है। राष्ट्रपति लोक सभा और राज्य सभा से मिलकर बनी सांसद में बजट से संबंधित अहम फैसलों के साथ ही मतदाताओं का प्रतिनिधत्व किया जाता है। वहीं दूसरी ओर कार्यपालिका और न्यायपालिका देश के लिये कार्यपालक एंव न्यायपालक का कार्य करते है।
लोकतंत्र का आधार मीडिया
कार्यपालिका कानूनों को लागू करने और सरकार के दैनिक मामलों का प्रबंधन करने के साथ नीतियों को तैयार करती है। न्यायपालिका कानूनों की व्याख्या, विवादों का निपटारा, नागरिकों के अधिकारों की रक्षा, विधायिका और कार्यपालिका पर अंकुश सहित कानूनों का पालन करवाने का कार्य करती है। अब बात आती है देश की चौथे स्तम्भ यानि लोकतंत्र का आधार मीडिया जो देश की जनता को निर्णय लेने, सार्जनिक बहस में भाग लेने, सरकार और अन्य शक्तिशाली संस्थानों को जवाबदेह ठहराने के साथ ही देश के नागरिकों को सूचना का अधिकार प्रदान करने के साथ ही अनुच्छेद 19(1)(a) से भी परिचित कराती है। अगर इन चारों स्तम्भ में एक भी स्तम्भ कमजोर पड़ता है तो देश नींव डगमगाने लगती है।
गाँधी जी ने आजादी में चौथे स्तम्भ को बनाया शक्तिशाली साधनः–
देश को आजाद करवाने का प्रण लेने वाले महात्मा गाँधी ऐसे पत्रकार थे जिन्होंने देश का चौथा स्तम्भ कहे जाने वाले मीडिया को देश की आजादी के लिये शक्तिशाली साधन के रुप में इस्तेमाल किया। गाँधी जी के संपादन में प्रकाशित इण्डिया ओपिनियन, यंग इण्डिया, नवजीवन और हरिजन जैसे समाचार पत्रों ने स्वतंत्रता संग्राम और समाजिक सुधारों के प्रयासों को सफल बनाने में नींव का पत्थर साबित हुये और ब्रिटिश सरकार की बेबुनियादी नितियों के पैरों तले से जमीन को खींच लिया। गाँधी जी ने पत्रकारिता के द्वारा अपने विचारों को जनता तक पहुँचाने के लिये प्रयोग करते हुये देश के नागरिकों में सत्य, अहिंसा, नैतिकता, आत्मनियंत्रण, आत्मानुशासन की भावना को भरने के साथ ही जनता को एकजुट और शिक्षित करने का कार्य किया।
अम्बेडकर के स्वतंत्रता संग्राम
भारत के संविधान रचायिता डॉ0 भीमराव अम्बेडकर द्वारा संपादित समाचार पत्र मूकनायक और बहिष्कृत भारत दलितों को उनके सामाजिक, राजनीतिक अधिकारों से परिचित करवाया। जनता समाचार पत्र में अम्बेडकर के स्वतंत्रता संग्राम से संबंधित लेख प्रकाशित होते थे। इसके अलावा बाल गंगाधर तिलक, मदन मोहन मालवीय जैसे देश की आजादी के लिये समर्पित पत्रकारों और मोती लाल घोष की अम्रत बाजार पत्रिका, जेम्स ऑगस्टस हिक्की का बंगाल गजट, युगल किशोर शुक्ल का 1826 में प्रकाशित हिन्दी का पहला समाचार पत्र उदंत मार्तण्ड।
कानपुर के गणेश शंकर विधार्थी के समाचार पत्र प्रताप ने अपने प्रकाशित लेखों और संपादकीय से जनता को उनकी भाषा में उनके अधिकारों से अवगत कराते हुये देशभक्ति की भावना को जगाया और ब्रिटिश सरकार के काले कारनामों उजागर करते हुये उनकी बेबुनियाद नीतियों की धज्जियां उड़ा कर रख दी। इस तरह हमारे देश की चौथी सत्ता मीडिया ने भारत की आजादी में रीढ़ बनकर देश को आजाद करवाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की।
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